इम्फाल, 10 सितंबर . लंबे समय से चल रही अशांति के कारण राज्य में मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियां बढ़ती जा रही हैं, जिसके मद्देनजर मणिपुर ने इम्फाल स्थित डीएम विश्वविद्यालय के अंतर्गत वाणिज्य महाविद्यालय के यूटिलिटी हॉल में ‘आत्महत्या पर दृष्टिकोण बदलना’ विषय के साथ विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस मनाया.
यह कार्यक्रम राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम (एनएमएचपी), राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) और स्वास्थ्य सेवा निदेशालय, मणिपुर सरकार द्वारा आयोजित किया गया था.
एनएमएचपी की राज्य नोडल अधिकारी डॉक्टर रनिता देवी ने इस बात पर प्रकाश डाला कि मणिपुर में आत्महत्या दर (लगभग 1.2 प्रति लाख) राष्ट्रीय औसत 12.4 प्रति लाख से काफी कम है, लेकिन चल रहे संकट के बीच हाल के वर्षों में इसमें थोड़ी वृद्धि हुई है. उन्होंने बताया कि चिंता, तनाव और मनोदशा संबंधी विकार जैसी मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ रही हैं, जो हिंसा, विस्थापन और राहत शिविरों में खराब रहने की स्थिति के कारण और भी बदतर हो गई हैं.
स्वास्थ्य विभाग ने जागरूकता अभियान, परामर्श सेवाएं और उपचार अभियान तेज कर दिए हैं, जिनमें राहत शिविरों के 930 से ज्यादा दौरे, मुफ्त दवाइयां और जिला-स्तरीय मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं शामिल हैं. तमाम प्रयासों के बावजूद, आंतरिक रूप से विस्थापित व्यक्तियों (आईडीपी) में पांच आत्महत्याएं दर्ज की गई हैं, जो समुदाय-आधारित समर्थन, कलंक में कमी और बेहतर स्वास्थ्य सेवा पहुंच की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित करती हैं.
इस कार्यक्रम में स्थानीय परिवहन पर जागरूकता सामग्री का शुभारंभ, छात्रों के लिए समूह चर्चा, और मणिपुर के सभी 16 जिलों में आत्महत्या रोकथाम के प्रयासों को बढ़ाने के लिए जनसंचार माध्यमों के माध्यम से मानसिक स्वास्थ्य हेल्पलाइन का प्रसारण भी किया गया.
कार्यक्रम में प्रमुख स्वास्थ्य अधिकारियों ने भाग लिया, जिनमें स्वास्थ्य सेवाएं निदेशक डॉ. चाम्बो गोनमेई, परिवार कल्याण सेवाएं निदेशक डॉक्टर एन हेमंतकुमार सिंह, स्वास्थ्य सेवाएं अतिरिक्त निदेशक (एमडी), डॉक्टर एन बिनो सिंह, मानविकी विद्यालय डीएमयू के डीन प्रोफेसर सगोलसेम लांचेनबा मीतेई और एनएमएचपी की राज्य नोडल अधिकारी डॉक्टर अथोकपम रनिता देवी शामिल थीं.
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एएसएच/जीकेटी