समाज को एकजुट करने की राजनीति करते हैं मल्लिकार्जुन खड़गे और कांग्रेस : गुरदीप सिंह सप्पल

नई दिल्ली, 14 नवंबर . कांग्रेस नेता गुरदीप सिंह सप्पल ने गुरुवार को से खास बातचीत की. इस दौरान उन्होंने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे पर की गई टिप्पणियों और महाराष्ट्र में चल रही ईडी की छापेमारी पर प्रतिक्रिया जाहिर की.

गुरदीप सिंह सप्पल से जब पूछा गया कि यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मल्लिकार्जुन खड़गे पर पलटवार करते हुए कहा कि खड़गे के परिवार को मुसलमानों ने मारा था, लेकिन उन्होंने इस बारे में कभी कुछ नहीं कहा, क्योंकि वे वोट बैंक की राजनीति करते हैं, तो उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ की राजनीति नफरत फैलाने वाली है, जबकि मल्लिकार्जुन खड़गे और कांग्रेस पार्टी समाज को एकजुट करने की राजनीति करती है. उन्होंने कहा कि खड़गे ने खुद एक टीवी इंटरव्यू में यह बताया था कि उनके परिवार पर हैदराबाद के निजाम के राजाकारों द्वारा हमला किया गया था और उनके परिवार के कई सदस्य मारे गए थे.

उन्होंने कहा कि यह बात खड़गे ने सार्वजनिक रूप से कही है कि उनके परिवार का कत्लेआम हुआ था, लेकिन उनके मन में बदला लेने की भावना नहीं है. उनका कहना था कि जिस तरह से उनके परिवार पर अत्याचार हुआ, वैसा किसी अन्य नागरिक के साथ न हो. यही खड़गे की राजनीति है – नफरत का जवाब नफरत से नहीं दिया जाना चाहिए. खड़गे ने हमेशा एकता और सौहार्द की राजनीति की है और दलित, मुसलमान, आदिवासी सभी समुदायों के अधिकारों की बात की है. उन्होंने यह भी कहा कि खड़गे जी का यह दृष्टिकोण था कि इस देश में हर नागरिक को समान सुरक्षा और अधिकार मिलना चाहिए और इसी उद्देश्य के लिए उन्होंने अपने जीवन को समर्पित किया.

महाराष्ट्र में ईडी की छापेमारी पर उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आते हैं, भारतीय जनता पार्टी के सहयोगी और एजेंसियां सक्रिय हो जाती हैं. ईडी का काम हमेशा भाजपा के राजनीतिक हितों के मुताबिक होता है और यह चुनावों को प्रभावित करने की कोशिश करता है.

उन्होंने सवाल किया कि क्या ईडी को चुनाव आयोग से ऊपर का दर्जा मिला है? क्या वह चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करने के लिए बिना चुनाव आयोग की अनुमति के कार्रवाई कर सकते हैं? उन्होंने कहा कि जब चुनाव आचार संहिता लागू होती है, तो कोई भी सरकारी अधिकारी, जैसे कि डीजीपी या कलेक्टर, चुनाव आयोग की अनुमति के ब‍िना कोई निर्णय नहीं ले सकता. लेकिन ईडी को यह स्वतंत्रता क्यों दी जाती है? उन्होंने यह भी कहा कि ईडी की कार्रवाई का कोई ठोस परिणाम नहीं निकलता और उसका प्रभाव बहुत हल्‍का होता है.

उन्होंने कहा कि यहां सवाल यह उठता है कि क्या ईडी संविधान से ऊपर है? क्या ईडी को बिना चुनाव आयोग की अनुमति के चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करने का अधिकार है? उन्होंने आरोप लगाया कि ईडी चुनाव के समय राजनीति करने के लिए इस्तेमाल हो रही है और यह पूरी तरह से गलत है.

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