नई दिल्ली, 23 मार्च . मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने यू टर्न ले लिया है. वह अब भारत के प्रति सौहार्दपूर्ण रुख अपना रहे हैं. इसके पीछे की वजह भी साफ है कि भारत का लगभग 400.9 मिलियन अमेरिकी डॉलर (करीब 35 अरब रुपए) मालदीव पर कर्ज है और इसे चुकाने की बारी आई तो अब मुइज्जू इसको लेकर राहत मांगने लगे हैं.
मतलब साफ है कि भारत को लेकर सख्त रुख अपना रहे मुइज्जू के तेवर अब ढीले पड़ रहे हैं. मालदीव का राष्ट्रपति चुनाव जीतने के पहले से ही मोहम्मद मुइज्जू लगातार ‘भारत विरोधी’ बयानबाजी कर रहे थे और पूरे चुनाव के दौरान ‘इंडिया आउट’ की तर्ज पर चुनावी कैंपेन भी चलाया था.
सत्ता में आने के बाद से उन्होंने कई ऐसे कदम उठाए जो भारत-मालदीव संबंधों के लिहाज से अच्छे नहीं थे. मतलब भारत के सख्त रवैये के बाद से ही मालदीव असहज महसूस करने लगा था और अब राष्ट्रपति मुइज्जू के सुर अचानक बदल गए हैं.
अब वह कहने लगे हैं कि भारत हमारा निकटतम सहयोगी है और बना रहेगा. इसके साथ ही नई दिल्ली से मालदीव को ऋृण राहत प्रदान करने का आग्रह भी किया है.
इससे पहले मुइज्जू का रुख चीन के प्रति नरम था, वह चीन समर्थक माने जाते रहे हैं. इसके साथ ही मुइज्जू ने जैसे ही देश की सत्ता संभाली, सबसे पहले भारत को मालदीव से अपने सैनिकों को वापस बुलाने की मांग कर दी.
मुइज्जू ने यह भी कहा था कि मालदीव से 88 भारतीय सैन्य कर्मियों को 10 मई तक वापस भेज दिया जाएगा.
भारतीय सैन्य कर्मियों के पहले बैच ने इसी महीने मालदीव छोड़ा, इसके बाद मुइज्जू की तरफ से अब राहत की भीख मांगी जा रही है.
मुइज्जू ने भारत को लेकर कहा कि पिछली मालदीव सरकारों द्वारा लिए गए भारी ऋण के पुनर्भुगतान में राहत प्रदान करने का मैं नई दिल्ली से आग्रह करता हूं.
उन्होंने आगे कहा कि हमें जो स्थितियां विरासत में मिली हैं वह मालदीव की अर्थव्यवस्था द्वारा वहन किए जाने से कहीं अधिक हैं. ऐसे में हम इन ऋणों की भुगतान प्रक्रिया में राहत के लिए भारत से चर्चा कर रहे हैं.
इसके साथ ही मुइज्जू ने कहा कि मालदीव में चल रही भारत की किसी भी परियोजना को रोकने के बजाय, उनको तेजी से आगे बढ़ना है, इसलिए मुझे (मालदीव-भारत संबंधों पर) किसी भी प्रतिकूल प्रभाव का कोई कारण नहीं दिखता.
मुइज्जू ने दावा किया कि उन्होंने ऐसा कोई कदम नहीं उठाया या ऐसा कोई बयान नहीं दिया, जिससे भारत-मालदीव के बीच संबंधों में तनाव आए.
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