कुआलालंपुर, 2 जून . भारत के एक सर्वदलीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को मलेशिया के प्रमुख राजनीतिक दलों के नेताओं से मुलाकात की और पाकिस्तान प्रायोजित सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ जारी लड़ाई के लिए समर्थन हासिल किया.
जदयू सांसद संजय कुमार झा के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने कुआलालंपुर में मलेशिया की डेमोक्रेटिक एक्शन पार्टी (डीएपी) और पार्टी केदिलन राक्यत (पीकेआर) के सदस्यों के साथ बातचीत की. पीकेआर को अंग्रेजी में पीपुल्स जस्टिस पार्टी के नाम से भी जाना जाता है. मलेशियाई प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम पीकेआर के सदस्य हैं.
भारतीय सांसदों ने आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों के प्रति जीरो टॉलरेंस के राष्ट्र के सिद्धांतबद्ध और अडिग रुख से अवगत कराया और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के रणनीतिक महत्व को बताया.
प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों ने समाचार एजेंसी से बातचीत में कहा कि मलेशियाई दलों ने आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई के प्रति अपना समर्थन जताया है.
झा ने कहा, “हमने दोनों सत्तारूढ़ दलों से मुलाकात की और उनके समक्ष अपने विचार रखे. उन्होंने हमारी स्थिति की सराहना की और कहा कि भारत को अपनी रक्षा करने का अधिकार है. हमने सिंधु जल संधि और आतंकवाद पर भारत की ‘नई सामान्य’ नीति पर भी चर्चा की, जिसमें इस बात पर जोर दिया गया कि भारत के खिलाफ किसी भी आतंकवादी गतिविधि को युद्ध की कार्रवाई माना जाएगा.”
उन्होंने कहा, “जब प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की तो दोनों नेताओं के बीच सौहार्दपूर्ण भावना ने मलेशिया में एक मैत्रीपूर्ण संदेश दिया. मलेशिया ने सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ भारत के साथ एकजुटता व्यक्त की. मलेशिया ने भारत की प्रगति की भी सराहना की, क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है.”
झा ने कहा, “भारत इस डोजियर को वित्तीय कार्रवाई कार्य बल के समक्ष ले जाएगा, जो आतंकवाद को वित्तपोषित करने वाले देशों को ग्रे या काली सूची में डालता है. हमने इस पर मलेशिया का सहयोग भी मांगा है. कुल मिलाकर, हमारी बैठक सार्थक रही और उन्होंने भारत के दृष्टिकोण को धैर्यपूर्वक सुना.”
जापान, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर, इंडोनेशिया की यात्रा संपन्न करने के बाद, विदेश यात्रा के अंतिम चरण में मलेशिया के लिए जदयू सांसद झा के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल में भाजपा सांसद अपराजिता सारंगी, बृज लाल, हेमांग जोशी और प्रदान बरुआ, तृणमूल कांग्रेस सांसद अभिषेक बनर्जी, माकपा के राज्यसभा सदस्य जॉन ब्रिटास, वरिष्ठ कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद और फ्रांस में भारत के पूर्व राजदूत मोहन कुमार भी शामिल हैं.
कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने कहा, “हमने दोनों पक्षों से बातचीत की. इस पूरी यात्रा के दौरान हमने देखा है कि हर कोई आतंकवाद का कड़ा विरोध कर रहा है. दोनों पक्षों ने मलेशिया में अन्य सरकारी एजेंसियों के समक्ष भारत के रुख को रखने का निर्णय लिया. हमें खुशी है कि मलेशिया भारत की चिंताओं पर विचार करने के लिए तैयार है. अब तक जिन देशों की यात्रा की है, उन सभी से हमें सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है.”
भाजपा सांसद हेमांग जोशी ने बताया, “बैठकों के दौरान हमने पहलगाम घटना में पाकिस्तान की भूमिका पर चर्चा की और अपने साक्ष्य साझा किए. हमने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बारे में भी बात की और सबूतों के साथ अपने विचार प्रस्तुत किए. हमें यह जानकर खुशी हुई कि मलेशिया ने स्पष्ट रूप से कहा है कि इस्लाम किसी भी तरह के आतंकवाद या हिंसा का समर्थन नहीं करता है और ऐसी किसी भी आतंकवादी गतिविधि की निंदा करता है. उन्होंने ऐसी गतिविधियों के खिलाफ भारत के आत्मरक्षा के अधिकार का भी समर्थन किया है.”
उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान दोनों परमाणु पड़ोसी हैं तथा मलेशिया नहीं चाहता कि वे परमाणु युद्ध में शामिल हों.
उन्होंने कहा, “पूरा दलीय प्रतिनिधिमंडल आया और उसने विस्तृत विवरण दिया कि 22 अप्रैल को यह घटना कैसे घटी. हमने उस दिन मारे गए लोगों के प्रति अपनी चिंता और सहानुभूति व्यक्त की है. दुनिया में कहीं भी सीमा पार आतंकवाद अस्वीकार्य है. मलेशिया ने इस संबंध में एक कड़ा बयान जारी किया है. हम भी इस भावना से सहमत हैं और हमें लगता है कि जो कुछ हुआ, वह बिल्कुल नहीं होना चाहिए था.”
भारत के साथ संबंधों पर मंत्री ने कहा, “भारत और मलेशिया के संबंध 100 साल पुराने हैं. मलेशिया में भारतीय समुदाय के 20 लाख से अधिक लोग रहते हैं.”
सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल की मलेशिया यात्रा, पाकिस्तान की धरती से उत्पन्न सीमापार आतंकवाद के विरुद्ध अंतर्राष्ट्रीय समर्थन जुटाने के लिए भारत की रणनीतिक पहल का हिस्सा है.
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एएसएच/एकेजे