Mumbai , 18 अगस्त . महाराष्ट्र के वरिष्ठ वकील माजीद मेमन ने चुनाव आयोग द्वारा कांग्रेस सांसद राहुल गांधी का बिना नाम लिए दिए गए अल्टीमेटम की आलोचना की है. उन्होंने राहुल गांधी का बचाव किया.
माजीद मेमन ने से बातचीत के दौरान कहा कि चुनाव आयोग अब राहुल गांधी और विपक्ष की आवाज को दबाने का प्रयास कर रहा है. आयोग ने पहले से तय कर लिया है कि जो पक्ष विरोध में आवाज उठा रहे हैं, उन्हें दबाना है. चुनावों में गड़बड़ी की जा रही है, वोटों की चोरी हो रही है, और चुनाव आयोग इस पर ध्यान नहीं दे रहा. आयोग का यह कदम संवैधानिक और नैतिक रूप से गलत है.
मेमन ने महाराष्ट्र के राज्यपाल को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए जाने पर भाजपा को घेरा. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार को इस बात का डर था कि उपराष्ट्रपति के रूप में कोई ऐसा व्यक्ति न आ जाए जो उनके नियंत्रण से बाहर हो, जैसे कि जगदीप धनखड़. वे ऐसे व्यक्ति की तलाश में थे जो पूरी तरह से उनके विश्वास के अनुसार हो. राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन का नाम जोड़े जाने का कारण यह है कि वे भाजपा के कट्टर समर्थक हैं, और उनका बैकग्राउंड पूरी तरह से आरएसएस से जुड़ा है. लोकतंत्र और संविधान के अनुसार, उपराष्ट्रपति का पद निष्पक्ष होना चाहिए, किसी भी पार्टी से जुड़ा नहीं होना चाहिए. लेकिन मोदी सरकार का यही उद्देश्य है कि उन्हें एक ‘रबर स्टैंप’ चाहिए, जो उनकी इच्छाओं के अनुरूप कार्य करे.
उन्होंने बंगाल फाइल्स फिल्म के विवाद पर भी अपनी राय दी. मेनन ने कहा कि हमारे देश में कानून और व्यवस्था संविधान के दायरे में काम करती है. सेंसर बोर्ड के पास फिल्मों को सर्टिफिकेट देने का अधिकार है, और अगर फिल्म को सेंसर बोर्ड ने मंजूरी दी है, तो उसे प्रदर्शित किया जा सकता है. यदि किसी को फिल्म से आपत्ति है, तो उन्हें सेंसर बोर्ड में अपील करनी चाहिए, और यदि समस्या बनी रहती है, तो वे न्यायालय का रुख कर सकते हैं. फिजिकल वायलेंस करना किसी भी हालत में सही नहीं है; यह पूरी तरह से गैरकानूनी है.
मेमन ने महाराष्ट्र के चुनाव आयोग द्वारा लोकल बॉडी चुनाव की तारीख स्थगित करने के प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि लोकल चुनावों में बहुत देर हो चुकी है, और इन्हें अब और स्थगित नहीं किया जा सकता. चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है कि वे समय पर चुनाव करवाएं और कोई बहाना न बनाएं. चुनाव आयोग को चुनाव की तैयारी पूरी करके जल्दी से चुनाव कराना चाहिए.
मेमन ने उत्तराखंड में मदरसे को बंद करने के निर्णय पर चिंता जताई है. उन्होंने कहा कि यह एक संवेदनशील मुद्दा है, और इसे बिना चर्चा के हल नहीं किया जा सकता. अल्पसंख्यक समुदाय को निशाना बनाना और उन्हें शिक्षा से वंचित करना गलत है. यह मुद्दा दो समुदायों के बीच संघर्ष को बढ़ा सकता है, और इससे सामाजिक माहौल बिगड़ सकता है. सरकार को मदरसों की स्थिति पर विचार करना चाहिए, और यदि वहां कोई गड़बड़ी हो, तो उसे सुधारने की कोशिश करनी चाहिए.
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एएसएच/केआर