नई दिल्ली, 3 जून . सहकारी स्वामित्व वाली संस्था इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोऑपरेटिव लिमिटेड (इफको) ने मंगलवार को इफको के उत्पादों के बारे में भ्रामक प्रचार किए जाने की जानकारी दी. संस्था ने इसे गलत बताया और झूठे प्रचार से बचने की सलाह दी.
इफको ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “हम यह बताना चाहते हैं कि हाल ही में राजस्थान के किशनगढ़ में कुछ उर्वरक यूनिट पर की गई छापेमारी के बाद, सोशल मीडिया, समाचार पत्रों और अलग-अलग मीडिया चैनलों के माध्यम से इफको (एक किसान सहकारी) के उत्पादों के बारे में भ्रामक प्रचार किया जा रहा है.”
इफको ने आगे कहा कि यह पूरी तरह से गलत है और यह सुनिश्चित करना संस्था की जिम्मेदारी है कि सही जानकारी सभी तक पहुंचे और इस झूठे प्रचार से बचा जाए.
पोस्ट में आगे जानकारी देते हुए कहा गया कि राजस्थान के किशनगढ़ में की गई छापेमारी में कोई इफको उर्वरक नहीं पाया गया है. पोस्ट में संस्था की ओर से अनुरोध किया गया है कि इफको उत्पादों में विश्वास बनाए रखें और उत्पादों की गुणवत्ता के खिलाफ किए जा रहे झूठे प्रचार से बचें.
संस्था की ओर से यह साफ किया गया कि इस कार्रवाई में इफको के संयुक्त उद्यम एक्वाग्री द्वारा निर्मित एक बायोस्टिमुलेंट सागरिका ग्रेन्युल कुछ स्थानों पर पाया गया. सागरिका ग्रेन्युल किसानों के बीच बहुत लोकप्रिय है और इसके उत्पादन में कोई अनियमितता नहीं है क्योंकि इसका उत्पादन केंद्रीय अनुसंधान संस्थान यानी सीएसआईआर-सीएसएमसीआरआई द्वारा प्रदान की गई तकनीक के आधार पर किया जा रहा है. साथ ही भारत सरकार के दिशानिर्देशों के अनुसार पुष्टि की गई है.
‘बायोस्टिमुलेंट’ एक प्रकार का पदार्थ होता है, जो पौधों की वृद्धि और विकास को बढ़ावा देने में मदद करता है. इफको ने आगे बताया कि इन स्थानों पर पाए जाने वाले डोलोमाइट, जिप्सम, समुद्री शैवाल पाउडर, बेंटोनाइट आदि का उपयोग ‘सागरिका ग्रेन्युल’ के दाने बनाने में किया जाता है और इसमें कुछ भी गलत नहीं है.
संस्था ने जोर देते हुए कहा, “हम एक बार फिर सभी से अनुरोध करते हैं कि इस भ्रामक प्रचार से बचें और इफको के गुणवत्ता वाले उर्वरकों और बायोस्टिमुलेंट्स का उपयोग करें.”
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