महाराष्ट्र : फिर रंग बदल सकती है माढ़ा सीट, भाजपा ने 2019 में राकांपा से छीनी थी

सोलापुर (महाराष्ट्र), 28 अप्रैल . सोलापुर का 15 साल पुराना माढ़ा लोकसभा क्षेत्र (अविभाजित) राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का गढ़ रहा है. यह देश के उन कुछ चुनिंदा इलाकों में से एक है, जो 2014 में भारतीय जनता पार्टी की पहली लहर में भी भगवा रंग में नहीं रंगा था.

हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 2019 के चुनावों में माढ़ा भी भाजपा की सुनामी में ढह गया. रणजीतसिंह नाइक-निंबालकर ने यहां पार्टी का खाता खोलते हुए जीत हासिल की.

कई कारकों की वजह से यहां 2024 में यहां दोबारा भाजपा की संभावनाओं पर सवालिया निशान है. पार्टी ने माढ़ा से नाइक-निंबालकर को फिर से टिकट दिया है जो फल्टन साम्राज्य के पूर्व शाही परिवार के वंशज हैं.

एक युवा और मजबूत स्थानीय भाजपा नेता, धैर्यशील मोहिते-पाटिल 2024 के आम चुनावों से पहले शरद पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) में शामिल हो गए जिसने उन्हें तुरंत माढ़ा के लिए लोकसभा का टिकट दे दिया.

भाजपा को एक और बड़ा झटका तब लगा जब कुछ दिन पहले ही पूर्व उपमुख्यमंत्री विजयसिंह मोहिते-पाटिल अचानक अपनी पुरानी पार्टी एनसीपी (एसपी) के साथ चले गए और अपने पुराने वरिष्ठ मित्रों शरद पवार तथा सुशील कुमार शिंदे को गर्मजोशी से गले लगाया.

संयोग से, 2019 में विजयसिंह मोहिते-पाटिल ने (अविभाजित) राकांपा छोड़ी माढ़ा सीट भी पार्टी के हाथ से चली गई.

इस बार विजयसिंह मोहिते-पाटिल ने शरद पवार और सोलापुर के अन्य महत्वपूर्ण नेताओं के साथ सार्वजनिक रूप से यहां भाजपा को हराने और ‘इंडिया’-महा विकास अघाड़ी-राकांपा (सपा) के संयुक्त उम्मीदवार धैर्यशील मोहिते-पाटिल की जीत सुनिश्चित करने की कसम खाई है.

भाजपा के लिए एक और बड़ी शर्मिंदगी की स्थिति तब बनी जब कई नाइक-निंबालकर वंशज; जिनमें श्रीमंत सुभद्रराजे प्रतापसिंह, रघुनाथराजे, प्रियलक्ष्मीराजे, शिवांजलिराजे संजीवराजे, अनिकेतराजे, रामराजे, सत्यजीतराजे संजीवराजे शामिल हैं; विजयसिंह मोहिते-पाटिल और अन्य शीर्ष एमवीए नेताओं के साथ धैर्यशील मोहिते-पाटिल के चुनाव अभियान के आगाज के समय मौजूद रहे.

माढ़ा लोकसभा सीट और सोलापुर जिला 2019 से पहले तक 70 वर्षों से अधिक समय से मोहिते-पाटिल वंश का पारंपरिक गढ़ रहा था.

अपनी ओर से, राकांपा (एसपी) ने हर कीमत पर भाजपा से अपना गढ़ वापस पाने को प्रतिष्ठा का मुद्दा बना लिया है और उसके शीर्ष नेता माढ़ा में जोरदार प्रचार कर रहे हैं.

लोकसभा क्षेत्र बनने के बाद 2009 में इसने पहली बार शरद पवार को चुना, 2014 में मोदी लहर पर काबू पाते हुए एनसीपी (एसपी) के विजयसिंह मोहिते-पाटिल को चुना, इसके बाद 2019 में भाजपा के नाइक-निंबालकर यहां से जीते.

माढ़ा लोकसभा क्षेत्र में 13 लाख से अधिक मतदाता हैं. इसमें छह विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं, जिनमें से दो भाजपा के पास हैं, दो पर (अविभाजित) राकांपा की जीत हुई थी और एक-एक सीट शिवसेना तथा निर्दलीय के खाते में गई थी.

करमाला से निर्दलीय संजय शिंदे; माढ़ा से एनसीपी के बबन शिंदे; सांगोला से शिवसेना के शाहजीबापू पाटिल; मालशिरस-एससी से भाजपा के राम सतपुते (जो सोलापुर-एससी सीट से लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं); फल्टन-एससी से एनसीपी के दीपक पी. चव्हाण; और मान से भाजपा के जयकुमार गोरे विजयी हुए थे.

यह क्षेत्र नाइक-निंबालकरों द्वारा निर्मित पुराने किले, ऐतिहासिक मोधेश्वरी मंदिर और अन्य धार्मिक स्थानों के लिए प्रसिद्ध है.

एकेजे/