महाराष्ट्र में इस बार विधानसभा चुनाव बेहद दिलचस्प हो गया है. राज्य में विकास, रोजगार और कल्याणकारी योजनाओं को लेकर जनता के सामने दो प्रमुख विकल्प हैं – महाविकास अघाड़ी और महायुति. दोनों गठबंधन अपनी-अपनी उपलब्धियों और वादों को लेकर चुनावी मैदान में हैं. लेकिन, जनता का मूड कुछ और ही कह रहा है. पिछले ढाई वर्षों में महायुति सरकार ने जो ठोस कदम उठाए हैं, उसने मतदाताओं का भरोसा जीत लिया है. वहीं, महाविकास अघाड़ी के समय की अधूरी योजनाएं और कमजोर क्रियान्वयन जनता को निराश कर गया.
महायुति सरकार ने जून 2022 में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में सत्ता संभाली. इस दौरान राज्य में कई योजनाओं को गति मिली. महिलाओं के लिए “माझी लड़की बहिन योजना” के तहत पात्र लाभार्थियों को ₹1500 प्रति माह देने का निर्णय लिया गया. इसके साथ ही लड़कियों को मुफ्त उच्च शिक्षा और झील लड़की योजना के माध्यम से उनकी शिक्षा के रास्ते खोले गए. महिलाओं के लिए हर साल तीन मुफ्त गैस सिलेंडर देने की अन्नपूर्णा योजना ने उन्हें राहत दी. वहीं, महाविकास अघाड़ी के कार्यकाल में महिलाओं के लिए ऐसी कोई ठोस योजना लागू नहीं की गई.
किसानों और युवाओं के लिए महायुति सरकार ने बड़ा कदम उठाया. केंद्र सरकार की किसान सम्मान योजना में राज्य सरकार ने अतिरिक्त ₹500 जोड़कर इसे और मजबूत बनाया. इसके साथ ही, एक रुपये की फसल बीमा योजना और कृषि बिजली बिल माफी योजना ने किसानों को राहत दी. युवाओं के लिए ऑन-द-जॉब ट्रेनिंग और सारथी-बार्टी जैसी योजनाओं ने शिक्षा और प्रशिक्षण के लिए ₹14,000 करोड़ का प्रावधान किया. लड़का भाऊ योजना के तहत करीब 10 लाख युवाओं को लाभ दिया गया. महाविकास अघाड़ी के समय रोजगार सृजन की दिशा में ऐसा कोई ठोस प्रयास देखने को नहीं मिला.
महायुति सरकार ने रोजगार के मोर्चे पर भी बड़ी उपलब्धियां हासिल कीं. सरकारी नौकरियों में 75,000 पदों पर भर्ती की गई, जिसमें 18,000 पुलिस कांस्टेबल के पद शामिल थे. आंगनवाड़ी सेवकों, कृषि सेवकों और ग्राम रोजगार सेवकों के वेतन में वृद्धि की गई. मराठा समुदाय के लिए अन्नासाहेब पाटिल आर्थिक विकास निगम के माध्यम से 1 लाख से अधिक उद्यमी बनाए गए. रोजगार मेलों के जरिए 1 लाख 51 हजार युवाओं को रोजगार मिला. इसके विपरीत, महाविकास अघाड़ी के दौरान रोजगार मेलों का आंकड़ा केवल 36 हजार तक सीमित रहा.
स्वास्थ्य के क्षेत्र में महायुति सरकार ने महात्मा फुले जन आरोग्य योजना के तहत बीमा कवर को ₹1.5 लाख से बढ़ाकर ₹5 लाख कर दिया. गरीबों के इलाज के लिए सैकड़ों क्लीनिक शुरू किए गए, जहां मुफ्त स्वास्थ्य जांच की सुविधा है. इसके अलावा, 10 नए मेडिकल कॉलेज स्थापित करने का निर्णय लिया गया. महाविकास अघाड़ी के कार्यकाल में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए कोई बड़ी पहल नहीं हुई.
महायुति सरकार ने बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में भी सराहनीय कार्य किए. मुंबई मेट्रो 3, अटल सेतु और धारावी पुनर्विकास जैसी परियोजनाओं को तेज किया गया. धारावी स्लम के पुनर्विकास के लिए टेंडर प्रक्रिया पूरी हुई और झोपड़ियों का सर्वे शुरू हुआ. महाविकास अघाड़ी के कार्यकाल में यह परियोजना ठंडे बस्ते में थी.
महायुति ने आर्थिक मोर्चे पर भी महाविकास अघाड़ी को पछाड़ दिया. महाविकास अघाड़ी के कार्यकाल में महाराष्ट्र को देश के कुल एफडीआई का 26.83% हिस्सा मिल रहा था, जो महायुति सरकार के दौरान बढ़कर 37% हो गया. जीएसडीपी दर भी 1.9% से बढ़कर 8.5% हो गई.
प्राकृतिक आपदाओं में भी महायुति सरकार ने किसानों की मदद में बड़ी भूमिका निभाई. महाविकास अघाड़ी ने अपने कार्यकाल में 8701 करोड़ रुपये मंजूर किए, जबकि महायुति ने इस राशि को बढ़ाकर 16,309 करोड़ रुपये कर दिया. स्वयं सहायता समूहों के लिए भी महायुति ने 28,811 करोड़ रुपये आवंटित किए, जो महाविकास अघाड़ी की तुलना में दोगुना था.
जनता का कहना है कि महाविकास अघाड़ी के वादे और दावे सिर्फ कागजों पर ही सीमित रहे. महायुति ने अपने ठोस कार्यों और योजनाओं से विकास की गंगा बहाई. महाराष्ट्र चुनाव 2024 में जनता के सामने विकल्प साफ है. महायुति के विकास कार्यों और महाविकास अघाड़ी की अधूरी योजनाओं के बीच, जनता ने अब “विकास” को प्राथमिकता देने का मन बना लिया है.