महाकुंभ नगर, 20 जनवरी . महाकुंभ में पंचदशनाम जूना अखाड़ा ने अपनी परंपरा का निर्वाह करते हुए पांच दिवसीय पंचकोसी परिक्रमा की शुरुआत की. सोमवार को अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार जूना अखाड़े के अध्यक्ष हरि गिरी के नेतृत्व में अखाड़े के साधु-संतों ने गंगा पूजन कर पंचकोसी परिक्रमा की शुरुआत की.
पंचकोसीय परिक्रमा पूरे पांच दिन चलकर प्रयागराज के सभी मुख्य तीर्थों का दर्शन-पूजन करते हुए 24 जनवरी को संपन्न होगी. पंचकोसी परिक्रमा का समापन विशाल भंडारे के साथ होगा, जिसमें अखाड़े के सभी नागा संन्यासियों के साथ मंडलेश्वर, महामंडलेश्वर और आम श्रद्धालुओं के लिए भंडारा होगा.
नागा संन्यासियों के पंचदशनाम जूना अखाड़े ने हर वर्ष की तरह अपनी पांच दिवसीय पंचकोसीय परिक्रमा की शुरुआत की. जूना अखाड़े के साधु-संन्यासियों ने अखाड़े के अध्यक्ष हरि गिरी महाराज के नेतृत्व में गंगा पूजन करके यात्रा प्रारंभ की. यात्रा में शामिल श्रद्धालुओं ने संगम तट से चलकर सबसे पहले अक्षयवट तीर्थ, सरस्वती कूप का दर्शन करके लेटे हुए हनुमान जी के दर्शन किए.
इसके बाद पंचकोसी यात्रा ने मेला क्षेत्र में बनी संगम पुलिस चौकी के पास के ईष्ट देव भगवान दत्तात्रेय और मंदिर में स्थित शिवदत्तपुरी महाराज की समाधि के दर्शन किए. वहां से यात्रा रामघाट होते हुए अखाड़ा त्रिवेणी मार्ग से यमुना तट पर स्थित अपने मुख्यालय मौजगिरी आश्रम पहुंची.
मौजगिरी आश्रम में ईष्ट देव का पूजन कर सिद्ध शक्तिपीठ मां ललिता देवी और कल्याणी देवी के दर्शन के लिए यात्रा ने कूच किया. वहां से वनखंडी महादेव, कृष्णा नगर के रामजानकी मंदिर में पूजन कर यात्रा मेला क्षेत्र के दत्तात्रेय शिविर में पहले दिन के विश्राम के लिए पहुंची. मेला और पुलिस प्रशासन ने पहले से ही यात्रा मार्ग को बाधारहित बना रखा था.
जूना अखाड़े की पांच दिवसीय परिक्रमा सोमवार से शुरू होकर 24 जनवरी को समाप्त होगी. यात्रा के अगले पड़ाव में अरैल स्थित शूल टंकेश्वर महादेव, आदि माधव, चक्रमाधवों, सोमेश्वर नाथ का दर्शन होगा. इसके साथ ही परंपरा के अनुरूप यात्रा द्वादश माधवों और द्वादश महादेवों के दर्शन करती हुई प्रयागराज में संत दुर्वासा ऋषि, पनास ऋषि की तपोस्थलियों से होते हुए, शक्तिधाम ज्वाला देवी, समुद्र कूप और कल्पवृक्ष का दर्शन करेगी.
पंचकोसी परिक्रमा कष्ट हरण हनुमान जी, सुजावन देव, पडिला महादेव होते हुए श्रृंगवेरपुर में सीता कुंड और निषादराज स्थली का पूजन करेगी. वहीं, चौथे दिन नाग वासुकि, वेणी माधव का दर्शन कर अलोप शंकरी देवी का पूजन किया जाएगा. अंतिम दिन यात्रा भारद्वाज ऋषि की प्रतिमा का जलाभिषेक कर, भारद्वाजेश्वर महादेव का पूजन करेगी. संगम स्नान कर भंडारे में महाप्रसाद वितरण के साथ यात्रा का समापन होगा.
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एबीएम/