दमोह, 2 दिसंबर . देश के युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ने और उनकी सोई हुई किस्मत को बदलने के लिए केंद्र सरकार तमाम योजनाओं का क्रियान्वयन कर रही है. उसी में से एक प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम योजना (पीएमएफएमई) योजना है, जिसके माध्यम से लाखों युवा उद्यमी बन रहे हैं. ताजा उदाहरण मध्य प्रदेश के दमोह जिले के पथरिया ब्लॉक के मिर्जापुर गांव का है. यहां के करण कुर्मी ने पीएमएफएमई योजना के तहत बैंक से करीब छह लाख रुपये का लोन लिया और अपने गांव में एक दूध प्रसंस्करण यूनिट की स्थापना की.
करण कुर्मी ने बताया कि सबसे पहले उन्होंने पीएमएफएमई योजना के माध्यम से बैंक से लोन लिया और फिर दूध को लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए विभिन्न प्रकार की मशीनें खरीदीं. वह मोटरसाइकिल से गांव-गांव जाकर पशुपालकों से दूध खरीदते और फिर उसे प्लांट में लाकर संग्रहित करते. शुरुआती दिनों में उन्हें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा, लेकिन अब उनका काम बढ़ चुका है और अब वह सात-आठ गांवों के किसानों से दूध खरीद रहे हैं. इस प्रक्रिया से उन्हें खर्चे काटने के बाद करीब 35 से 40 हजार रुपये की बचत हो जाती है. इस योजना के तहत केंद्र सरकार लाभार्थियों को 35 प्रतिशत तक की सब्सिडी देती है.
करण ने को बताया, “पहले हमने मिर्जापुर गांव में एक छोटी सी डेयरी खोली थी, इसके बाद हमने इससे कमाए पैसे से बगल के गांव में एक और डेयरी खोली. इसके बाद हमने सकार से अनुमति ली और तीन-चार और शाखाएं खोलीं. इस तरह हम आठ लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं. इसके साथ ही, हमें इस व्यापार से महीने में 30 से 40 हजार रुपये की बचत हो जाती है. वर्तमान में हम सात-आठ गांवों से मिलाकर रोजाना करीब 900 लीटर दूध इकट्ठा करके व्यापार कर रहे हैं. इससे हमें महीने में करीब 35 हजार रुपये की आय हो रही है. खर्चों को काटकर हम हर महीने 30 से 35 हजार रुपये बचा लेते हैं.”
मध्य प्रदेश के पशुपालन एवं डेयरी मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) लखन पटेल ने कहा, “लोगों को स्वराज से जोड़ने के लिए यह योजना चलाई जा रही है. वह मिर्जापुर गांव का किसान लड़का है. मैं उसके उद्घाटन समारोह में भी गया था. उसका दूध कलेक्शन लगातार बढ़ रहा है. वह दूध कलेक्शन करके सांची (भोपाल सहकारी दुग्ध संघ) को देता है. सांची की तरफ से एक से सवा रुपया प्रति लीटर का कमीशन दिया जाता है. वह बहुत अच्छा काम कर रहा है. उसका दो हजार से चार हजार लीटर तक दूध का कलेक्शन हो रहा है. इसकी वजह से उसको काफी पैसा भी मिलता है. इससे नए-नए रोजगार भी उपलब्ध हो रहे हैं.”
मंत्री ने बताया कि इसी तरह राज्य में देवेंद्र और परमार की कहानी बहुत प्रचलित है. उन्होंने पांच गायों से अपना कारोबार शुरू किया और इसे 150 गायों तक ले गए. वे रोजाना 500 लीटर दूध का बेच रहे हैं और 500 लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं. इस क्षेत्र में बहुत से रोजगार के अवसर हैं. लोग इसको व्यावसायिक तरीके से नहीं करते. अगर किसी भी व्यवसाय को व्यावसायिक तरीके से किया जाए तो इससे बहुत अच्छा पैसा कमा सकते हैं.”
दमोह उद्योग विभाग के अधिकारी पी.एल.अहिरवार ने बताया, “यह योजना प्रधानमंत्री द्वारा स्वरोजगार स्थापित करने के लिए चलाई गई है, जिसका नाम है प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्यम उन्नयन योजना. इस योजना के तहत, हमारे विभाग से हितग्राहियों को चक्की, दाल मिल, राइस मिल, पापड़ मिल, और अन्य खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों के लिए जुड़ने का अवसर दिया जा रहा है. इसमें टमाटर केचप, अचार, जैम-जैली, और सूखे खाद्य उत्पादों के निर्माण के लिए भी इकाइयां स्थापित की जा रही हैं. इस योजना का मुख्य उद्देश्य बेरोजगारों को रोजगार देना है.”
उन्होंने आगे कहा, “इस योजना से तीन साल में हमारे दमोह जिले में 122 लाभार्थियों को लाभ मिल चुका है. इसमें दाल मिल, चावल मिल, दूध, घी, पनीर, बटर और टमाटर केचअप जैसी इकाइयां शामिल हैं. हमारे किसान अब टमाटर केचप के उत्पादन के लिए इकाइयां लगा चुके हैं, और वर्तमान में बटियागढ़ ब्लॉक में एक और इकाई संचालित हो रही है. इस क्षेत्र में टमाटर की सबसे अधिक फसल होती है, और इस योजना से जुड़कर किसान इसका अधिकतम लाभ उठा रहे हैं.”
उन्होंने कहा, “इस योजना से जुड़ने के लिए, हितग्राही विभाग से संपर्क कर सकते हैं. इसके तहत, हितग्राही डीपीआर बनवाकर लाभ उठा सकते हैं. इस योजना के लिए दस्तावेज की आवश्यकता ज्यादा नहीं है. बस आठवीं तक का अंक पत्र, एक पहचान पत्र, और खुद की जमीन होनी जरूरी है. साथ ही, पैन कार्ड, आधार कार्ड, और छह माह का बैंक स्टेटमेंट भी आवश्यक है. बैंक में लेनदेन स्पष्ट होना चाहिए, और यह सुनिश्चित करना होगा कि हितग्राही पहले से कर्जदार न हों. बैंक लोन देने से पहले हितग्राही की क्षमता की भी जांच होती है.”
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पीएसएम/एकेजे