मध्य प्रदेश : पीएम विश्वकर्मा योजना से दमोह के गरीबों की बदली किस्मत, मजदूर से मालिक बनने का सपना साकार

दमोह, 27 अप्रैल . केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी पीएम विश्वकर्मा योजना मध्य प्रदेश के दमोह जिले में गरीब और जरूरतमंद लोगों के लिए वरदान साबित हो रही है. इसने न केवल लोगों को आत्मनिर्भर बनाया है, बल्कि उनके सपनों को हकीकत में बदल दिया है.

योजना के तहत मिलने वाले प्रशिक्षण, आर्थिक सहायता और ऋण सुविधा ने कई परिवारों को मजदूरी से उद्यमिता की ओर बढ़ने का अवसर प्रदान किया है.

पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत दमोह में लोग आसानी से ‘एमपी ऑनलाइन कैफे’ के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं. आवेदन स्वीकृत होने के बाद लाभार्थियों को विभिन्न प्रशिक्षण केंद्रों में छह दिन का निःशुल्क प्रशिक्षण दिया जाता है. इस दौरान सिलाई, कढ़ाई, बुनाई, शिल्पकला, खिलौना निर्माण, लाइट फिटिंग और फर्नीचर निर्माण जैसे कौशल सिखाए जाते हैं. प्रशिक्षण पूरा होने के 45 दिन के भीतर प्रत्येक लाभार्थी को 500 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से 3,000 रुपए की पारिश्रमिक राशि और 1,000 रुपए का यात्रा भत्ता सीधे उनके बैंक खाते में जमा किया जाता है. इसके साथ ही, प्रमाणपत्र प्रदान किया जाता है, जो रोजगार और ऋण प्राप्ति में सहायक होता है.

दमोह के लाभार्थी नीरज विश्वकर्मा ने अपनी कहानी साझा करते हुए बताया, “मैंने उदास मन से पीएम विश्वकर्मा योजना के लिए आवेदन किया था. जब मेरा नाम सूची में आया, तो मेरे चेहरे पर मुस्कान लौट आई. छह दिन के प्रशिक्षण में मैंने फर्नीचर बनाने का कौशल सीखा और प्रमाणपत्र प्राप्त किया. इसके साथ ही 3,000 रुपए का मानदेय और 1,000 रुपए का यात्रा भत्ता भी मिला. इस प्रमाणपत्र के आधार पर मुझे कंपनी में नौकरी मिलने की उम्मीद है.”

नीरज ने बताया कि शिक्षा और अनुभव प्रमाणपत्र के अभाव में मजदूरों को आगे बढ़ने में कठिनाई होती है, लेकिन यह योजना उन्हें नई दिशा दे रही है. योजना के तहत तीन लाख रुपए तक का ऋण और 15,000 रुपए के उपकरण भी उपलब्ध कराए जा रहे हैं.

हटा तहसील के संजय विश्वकर्मा की कहानी भी प्रेरणादायक है. उन्होंने कहा, “पीएम विश्वकर्मा योजना ने मुझे मजदूर से मालिक बनने का अवसर दिया. छह दिन के प्रशिक्षण के बाद मुझे प्रमाणपत्र मिला, जिसके आधार पर मैं 3 लाख रुपए तक का ऋण ले सकता हूं. पहले मैं मजदूरी करता था, लेकिन अब मैं अपनी दुकान खोलने की योजना बना रहा हूं. मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त करता हूं. यह योजना न केवल आर्थिक सहायता प्रदान करती है, बल्कि आत्मविश्वास भी जगाती है.”

सिमरी की महिला लाभार्थी दशोदा लोधी ने भी योजना की सराहना की. उन्होंने बताया, “मैंने पीएम विश्वकर्मा योजना के लिए आवेदन किया था. छह दिन की ट्रेनिंग पूरी होने के बाद मुझे 3,000 रुपए का खर्चा और 1,000 रुपए का किराया मिला. इस प्रशिक्षण ने मुझे आत्मनिर्भर बनने का रास्ता दिखाया. यह योजना महिलाओं को भी अपने पैरों पर खड़ा होने का मौका दे रही है.”

उल्लेखनीय है कि पीएम विश्वकर्मा योजना के तहत दमोह में सैकड़ों लोग लाभान्वित हो रहे हैं. यह योजना न केवल कौशल विकास को बढ़ावा दे रही है, बल्कि छोटे उद्योगों और लघु व्यवसायों को भी प्रोत्साहन दे रही है.

जिला प्रशासन के अनुसार, योजना के तहत अधिक से अधिक लोगों को जोड़ने के लिए जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है. केंद्र सरकार की इस पहल ने दमोह के गरीब और मजदूर वर्ग के लोगों को नई दिशा दी है. यह योजना न केवल आर्थिक सशक्तीकरण का माध्यम बन रही है, बल्कि सामाजिक बदलाव का भी एक मजबूत आधार तैयार कर रही है.

एकेएस/एकेजे