जमुई विधानसभा सीट : 2020 में पहली बार खिला ‘कमल’, क्या फिर कमाल कर पाएंगी भाजपा की श्रेयसी सिंह?

Patna, 25 अक्टूबर . जमुई जिले की जमुई विधानसभा सीट बिहार की महत्वपूर्ण और रणनीतिक सीटों में से एक है. यह क्षेत्र बिहार-Jharkhand की सीमा पर स्थित है और अपनी प्राकृतिक सुंदरता, ऐतिहासिक महत्व और भूगर्भीय संपदा के लिए जाना जाता है. उत्तर में गंगा का उपजाऊ मैदान है, जबकि दक्षिण में छोटा नागपुर का पठारी क्षेत्र फैला हुआ है.

इस इलाके में दो राज्यों की भौगोलिक और सांस्कृतिक विशेषताओं का अनोखा संगम देखने को मिलता है. इसके अलावा, यह क्षेत्र मिका, कोयला, सोना और लोहा जैसी बहुमूल्य खनिज संपदा के लिए भी जाना जाता है.

जमुई का इतिहास और सांस्कृतिक महत्व भी विशेष है. ऐतिहासिक ग्रंथों और साहित्य में इसे जांभ्ययाग्राम के नाम से जाना जाता था. जैन धर्म के अनुसार, 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर ने ऋजुपालिका नदी के किनारे स्थित जांभ्ययाग्राम में दिव्य ज्ञान प्राप्त किया था.

जिले में कई प्राचीन मंदिर हैं, जिनमें गिद्धेश्वर मंदिर और पत्नेश्वर मंदिर प्रमुख हैं. गिद्धेश्वर मंदिर जिला मुख्यालय से लगभग 15 किमी दक्षिण में स्थित है और पत्थरों के ऊपर बना यह प्राचीन शिव मंदिर अपनी ऐतिहासिक और पौराणिक मान्यताओं के लिए प्रसिद्ध है. वहीं, पत्नेश्वर मंदिर जमुई शहर से लगभग 5 किमी उत्तर में स्थित है और इसकी उम्र लगभग 800 साल बताई जाती है.

Political दृष्टि से जमुई सीट की भूमिका हमेशा से अहम रही है. 1957 में यह स्वतंत्र विधानसभा सीट बनी थी, और तब से अब तक यहां कुल 17 चुनाव हुए हैं, जिसमें एक उपचुनाव भी शामिल है. शुरुआती वर्षों में कांग्रेस पार्टी ने पांच बार जीत हासिल की, जबकि 1957 में सीपीआई ने वामपंथ की यहां अपनी एकमात्र जीत दर्ज की. इसके बाद Samajwadi Party, जनता पार्टी, जनता दल, जदयू और राजद ने बारी-बारी से इस सीट पर कब्जा जमाया.

2020 में पहली बार भाजपा ने यहां जीत दर्ज की, जब श्रेयसी सिंह ने राजद के विजय प्रकाश यादव को हराया.

इस बार जमुई विधानसभा चुनाव में कुल 12 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. मुख्य मुकाबला भाजपा और राजद के बीच माना जा रहा है. भाजपा ने यहां से श्रेयसी सिंह को उम्मीदवार बनाया है, जबकि राजद ने मोहम्मद शमसाद आलम को मैदान में उतारा है. इसके अलावा, जन स्वराज पार्टी के टिकट पर अनिल प्रसाद साह भी चुनावी संघर्ष में शामिल हैं.

इस सीट पर यादव, राजपूत और मुस्लिम समुदाय के वोट निर्णायक भूमिका निभाते हैं. इनके मतों की दिशा चुनाव के परिणाम को प्रभावित कर सकती है.

डीसीएच/जीकेटी