पीजीआईएमईआर में पिट्यूटरी ट्यूमर के इलाज के लिए ‘सबसे लंबे आदमी’ की सर्जरी की गई

चंडीगढ़, 26 मई . चंडीगढ़ के पीजीआईएमईआर के न्यूरो सर्जरी विभाग ने एक बड़ी सफलता हासिल की है. उन्होंने अब तक 100 से अधिक पिट्यूटरी ट्यूमर के मामलों का इलाज किया, जिनमें सबसे लंबा मरीज भी शामिल था, जिसकी लंबाई 7 फीट 7 इंच थी.

एक्रोमेगाली एक हार्मोनल बीमारी है जो पिट्यूटरी ग्रंथि में बनने वाले ट्यूमर के कारण होती है. इसमें हड्डियों और ऊतकों की अत्यधिक वृद्धि देखी जा सकती है. इसका इलाज एंडोस्कोपिक ट्रांसनसल पद्धति से किया जाता है. यह एक कम चोट पहुंचाने वाली तकनीक है, जिसमें सिर पर कोई चीरा नहीं लगाया जाता.

डॉ. राजेश छाबड़ा, डॉ. अपिंदरप्रीत सिंह और डॉ. शिल्पी बोस की अगुवाई वाली न्यूरोसर्जरी टीम ने डॉ. राजीव चौहान की नेतृत्व वाली न्यूरो एनेस्थीसिया टीम के सहयोग और डॉ. इकजोत व डॉ. दृष्टि पारेख की मदद से 100 जटिल ऑपरेशन किए.

पोस्टग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (पीजीआईएमईआर) ने सोमवार को कहा कि ओटी तकनीशियन गुरप्रीत सिंह सहित ऑपरेशन थियेटर टीम ने इन सर्जरियों को सही तरीके से और सुरक्षित रूप से पूरा करने में अहम भूमिका निभाई.

पीजीआईएमईआर के निदेशक प्रोफेसर विवेक लाल ने टीम के सहयोग को सराहते हुए कहा, “7 फीट 7 इंच लंबाई वाले सबसे लंबे मरीज समेत 100 से अधिक जटिल पिट्यूटरी ट्यूमर के सफल इलाज से पीजीआईएमईआर की चिकित्सा विशेषज्ञता, सटीकता और टीम वर्क साबित होता है. यह परिणाम दिखाते हैं कि हम नई सोच के साथ बेहतरीन देखभाल देने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं.”

इस सर्जरी पद्धति की सफलता को बताते हुए पीजीआईएमईआर ने हाल ही में एक ऐसे युवक का इलाज किया, जिसकी लंबाई 7 फीट 7 इंच तक बढ़ गई थी. यह लंबाई अनियंत्रित वृद्धि हार्मोन के कारण होने वाली एक्रोमेगाली की एक दुर्लभ और गंभीर स्थिति थी. रोगी को जोड़ों में दर्द, नजर की समस्याएं और रोजमर्रा के काम करने में परेशानी हो रही थी. फिर बिना किसी निशान के ट्रांसनसल मार्ग के रास्ते ट्यूमर को सफलतापूर्वक निकाल दिया गया. अस्पताल ने बताया कि सर्जरी के बाद उनके हार्मोन का स्तर सामान्य होने लगा और कुछ ही हफ्तों में उनके लक्षणों में सुधार दिखने लगा.

इस बारे में विस्तार से बताते हुए एनेस्थीसिया और गहन चिकित्सा विभाग के अतिरिक्त प्रोफेसर डॉ. राजीव चौहान ने कहा, “यह अब तक पीजीआईएमईआर का सबसे लंबा मरीज था. उसकी असामान्य ऊंचाई और वजन ने एनेस्थीसिया में कई चुनौतियां पैदा की. हमने सुरक्षा और सटीकता सुनिश्चित करने के लिए सर्जरी से एक दिन पहले ओटी में पूरी प्रक्रिया की रिहर्सल की. यह एक टीम प्रयास था, जो दिखाता है कि पीजीआईएमईआर दुर्लभ और जटिल मामलों को संभालने के लिए पूरी तरह तैयार है.”

न्यूरोसर्जरी विभाग के प्रोफेसर डॉ. राजेश छाबड़ा ने इस मेडिकल समस्या के बारे में विस्तार से बताते हुए कहा, “फंक्शनल पिट्यूटरी एडेनोमास पिट्यूटरी ग्रंथि में होने वाले ऐसे गैर-कैंसर वाले ट्यूमर होते हैं जो जरूरत से ज़्यादा हार्मोन बनाते हैं. इससे शरीर का हार्मोन संतुलन बिगड़ जाता है. ये ट्यूमर किस तरह के हार्मोन बनाते हैं, उसी के आधार पर अलग-अलग तरह के लक्षण दिखते हैं. जैसे, हाथों और पैरों का असामान्य रूप से बढ़ना (एक्रोमेगाली), वजन बढ़ना और चेहरे पर सूजन (कुशिंग रोग), और गर्भवती न होने पर भी महिलाओं के स्तनों से स्राव के साथ अनियमित पीरियड्स (प्रोलैक्टिनोमा) होना.”

उन्होंने आगे कहा, “अक्सर शुरुआती दौर में इन ट्यूमर का पता नहीं चलता, लेकिन अगर इनका जल्दी पता लगाकर इलाज न किया जाए, तो ये गंभीर जटिलताएं पैदा कर सकते हैं.”

पीजीआईएमईआर इस तरह की जटिल न्यूरोएंडोक्राइन बीमारियों के इलाज और जांच में अग्रणी है. सही समय पर इलाज से मरीजों को पूरी तरह से ठीक होने और बेहतर जीवन जीने में मदद मिल सकती है. जल्दी जानकारी ही बचाव की कुंजी है. डॉ. छाबड़ा ने सलाह दी कि जिन लोगों को असामान्य शारीरिक विकास, मासिक धर्म में बदलाव या बिना किसी वजह के वजन बढ़ने जैसे लक्षण दिखें, उन्हें हार्मोन असंतुलन और पिट्यूटरी संबंधी बीमारियों की जांच के लिए डॉक्टर से मिलना चाहिए.

एसएचके/एएस