नृत्य सम्राट उदय शंकर के परफॉर्मेंस पर तालियों से गूंज उठा था लंदन का रॉयल ओपेरा हाउस

नई दिल्ली, 25 सितंबर . भले ही 21वीं सदी में डांस का अंदाज बदल चुका है, लेकिन एक समय ऐसा भी था, जब दुनियाभर में शास्त्रीय नृत्य का बोलबाला हुआ करता था. भारत ही नहीं, यूरोप और अमेरिका तक में शास्त्रीय नृत्य को लेकर दीवानगी का आलम दिखाई देता था. शास्त्रीय नृत्य को वैश्विक स्तर तक पहुंचाने का श्रेय जाता है, ‘आधुनिक नृत्य के जन्मदाता’ उदय शंकर को, जो न केवल भारत के प्रसिद्ध शास्त्रीय नृत्य के नर्तक थे बल्कि वह नृत्य निर्देशक और बैले निर्माता भी थे.

उन्होंने अपने करियर के दौरान भारतीय शास्त्रीय, लोक और जनजातीय नृत्य को नए अंदाज में पेश करने का काम किया. यही नहीं, उन्होंने डांसिंग में वेस्टर्न कल्चर को अपनाया और इसी की बदौलत उन्होंने आधुनिक भारतीय नृत्य की नींव रखी और बाद में 1920 और 1930 के दशक में उसे भारत, यूरोप और अमेरिका में लोकप्रिय बनाया.

नृत्य सम्राट उदय शंकर की 26 सितंबर को पुण्यतिथी है. उदय शंकर एक महान नर्तक थे, जिन्होंने भारतीय नृत्य को दुनिया के मानचित्र पर प्रभावशाली ढंग से स्थापित किया. उन्होंने तांडव नृत्य, शिव-पार्वती, लंका दहन, रिदम ऑफ लाइफ, श्रम और यंत्र, रामलीला और भगवान बुद्ध नाम से कई नृत्यों की रचना की.

उदय शंकर का जन्म 8 दिसंबर 1900 को राजस्थान के उदयपुर में हुआ था. वह एक बंगाली परिवार से आते थे. उनके पिता अपने दौर के मशहूर वकील थे, जो झालावाड़ के महाराज के यहां काम करते थे. उदय शंकर अपने भाइयों में सबसे बड़े थे. बताया जाता है कि उदय शंकर ने ‘भारतीय शास्त्रीय नृत्य’ के किसी भी स्वरूप में ट्रेनिंग नहीं थी, लेकिन कम उम्र से ही उनका ध्यान भारतीय शास्त्रीय और लोक नृत्य शैलियों की तरफ आकर्षित होने लगा था. यूरोप टूर के दौरान उन्हें बैले डांस ने काफी प्रभावित किया. इसके बाद उन्होंने दो अलग-अलग शैलियों को मिलाकर ‘हाई-डांस’ नाम से एक नई शैली की रचना की.

उन्होंने ‘भारतीय शास्त्रीय नृत्य’ के स्वरूपों को नया रूप देने का काम किया. उन्होंने ब्रिटिश संग्रहालय में राजपूत चित्रकला और मुगल चित्रकला की शैलियों का भी अध्ययन भी किया. इस दौरान वह कई डांस कलाकारों के संपर्क में आए और इसके बाद वह नृत्य के क्षेत्र में नए-नए प्रयोग करने लगे, जिससे उनकी नृत्य की शैली में बदलाव भी देखने को मिला. हालांकि, उनकी लाइफ में उस वक्त बड़ा मोड़ आया, जब वह रूसी बैले डांसर अन्ना पावलोवा से मिले. ‘राधा-कृष्ण’ पर बेस उनका बैले दुनिया भर में मशहूर हुआ, जिसमें वो कृष्ण बने थे और पावलोवा राधा बनी थी. ये शो हुआ था लंदन के रॉयल ओपेरा हाउस में, जो हिट साबित हुआ.

‘भारतीय शास्त्रीय नृत्य’ को दुनियाभर में पहुंचाने के लिए उदय शंकर को कई पुरस्कारों और सम्मानों से नवाजा गया. साल 1971 में उन्हें ‘पद्मविभूषण’ और साल 1975 में विश्वभारती ने ‘देशीकोत्तम सम्मान’ से नवाजा गया. नृत्य सम्राट उदय शंकर ने 26 सितंबर 1977 को दुनिया को अलविदा कह दिया. उनके निधन के एक साल के बाद 1978 में उनके नाम डाक टिकट जारी किया गया.

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