लखनऊ, 16 मार्च . लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान आज होने जा रहा है. यूपी सबसे अधिक लोकसभा सीटों वाला राज्य है. 2019 में यहां सात चरणों में चुनाव हुए थे. यहां पिछली बार सपा, बसपा और रालोद ने मिलकर चुनाव लड़ा था. लेकिन इस बार माहौल अलग है. सपा व कांग्रेस इंडिया गठबंधन के साथ चुनावी मैदान में हैं, जबकि भाजपा के साथ अपना दल (एस), सुभासपा, निषाद पार्टी और रालोद हैं.
इस बार भाजपा ने मोदी की गारंटी पर विश्वास करते हुए अब तक प्रदेश में 51 उम्मीदवार घोषित कर दिया है. इनमें सिर्फ 4 चेहरे नए हैं. शेष सभी पुराने चेहरों पर भरोसा किया है. इनमें बाराबंकी सीट के प्रत्याशी उपेंद्र रावत ने एक वीडियो वायरल होने के चलते अपना टिकट वापस कर दिया है.
सहयोगी पार्टी रालोद ने बिजनौर से चंदन चौहान और बागपत से राजकुमार सांगवान को मैदान में उतारा है. इस दौरान भाजपा ने दो चरणों का चुनाव प्रचार पूरा कर लिया है. भाजपा की सहयोगी पार्टी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने घोसी लोकसभा सीट से अपने उम्मीदवार की घोषणा कर दी है. इस सीट पर डॉ. अरविंद राजभर को उम्मीदवार बनाया गया है, जो पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर के बेटे हैं.
वरिष्ठ राजनीतिक विश्लेषक वीरेंद्र सिंह रावत कहते हैं कि 2014 व 2019 में भाजपा को सबसे अधिक सीटें उ.प्र. से मिलीं थीं . 2024 में भाजपा के नेता यूपी में सभी 80 सीटों का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं. लेकिन विपक्ष भी गठबंधन के तहत अखाड़े में भाजपा का रास्ता रोकने की तैयारी कर रहा है.
गौरतलब है कि 2019 में उत्तर प्रदेश में भाजपा को 62 संसदीय सीटों पर कमल खिलाने में कामयाबी मिली थी. भाजपा के सहयोगी अपना दल (एस) को दो सीटें मिली थी. सपा-बसपा गठबंधन कोई खास करिश्मा नहीं दिखा पाया था. बसपा के खाते में जहां 10 सीटें आई थीं, वहीं सपा पांच पर सिमट गई थी. बाद में हुए उपचुनाव में भाजपा ने रामपुर और आजमगढ़ की सीट सपा से छीन ली.
—
विकेटी/