जोधपुर में बांध के पास अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई, स्थानीय लोग बोले – ‘अब कहां जाएं?’

जोधपुर, 19 जून . राजस्थान के जोधपुर में गुरुवार को नगर निगम और पुलिस की टीम पूरे लाव लश्कर के साथ उम्मेद सागर बांध के पास अतिक्रमण हटाने पहुंची. स्थानीय लोगों ने इस कार्रवाई का विरोध किया. लोगों में इस कार्रवाई को लेकर रोष है. उनका दावा है कि वे यहां पर लंबे समय से रह रहे हैं.

लोगों का कहना है कि अगर उन्हें यहां से हटा दिया जाएगा तो वे कहां रहेंगे? हम गरीब आदमी हैं, हमारी कोई भी सुनने वाला नहीं है. शासन-व्यवस्था भी हमारी सुनने के लिए तैयार नहीं है.

वहीं, जोधपुर के एडीसीपी सुनील पवांर ने मीडिया से बातचीत में कहा कि हम अतिक्रमण के खिलाफ यह कार्रवाई कर रहे हैं. इसके लिए हमने पूरी तैयारी पहले ही कर ली थी. कार्रवाई के दौरान किसी भी प्रकार की अप्रिय स्थिति पैदा न हो, इसके लिए मौके पर बड़ी संख्या में पुलिस बलों को तैनात किया गया है. कार्रवाई की पूरी वीडियोग्राफी भी कराई जा रही है. तीन लेयर में हमने पुलिस बलों को तैनात किया है. नगर निगम की तरफ से जेसीबी की 10 मशीनें मंगवाई हैं.

उन्होंने बताया कि गुरुवार की कार्रवाई में 100 से ज्यादा मकानों को चिह्नित किया गया है, जिन्हें ध्वस्त किया जाएगा. हम यह सुनिश्चित करेंगे कि इस कार्रवाई के दौरान किसी भी प्रकार की अव्यवस्थित स्थिति पैदा नहीं हो. इसके लिए हमारी तरफ से पहले से ही पूरी तैयारी कर ली गई है. ड्रोन से पूरी कार्रवाई की वीडियोग्राफी कराई जा रही है.

उन्होंने कहा कि कार्रवाई के दौरान मौके पर 300 से ज्यादा पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है. इसके अलावा, तीन एसीपी, 10 एसएचओ को भी मौके पर तैनात किया गया है. कुल मिलाकर हमने तीन चरणों में मौके पर सुरक्षाबलों को तैनात किया है. व्यवस्था पूरी तरह से ठीक चल रही है. निगम की तरफ से सभी चिह्नित किए गए मकानों को हटाया जा रहा है.

इस कार्रवाई को लेकर स्थानीय लोगों में रोष है. उन्होंने मीडिया के सामने सवाल उठाया कि अब वे कहां जाएंगे. एक स्थानीय महिला कंचन भाटी ने कहा, “कम से कम हमें तीन दिन का समय दे देते, तो अच्छा रहता. हमारा सामान यहां पर पड़ा हुआ है और जिस तरह की कार्रवाई प्रशासन की तरफ से की जा रही है. हमें समझ नहीं आ रहा है कि हम अपना सामान लेकर कहां जाएं? इतनी जल्दी में कोई किराए पर भी मकान नहीं देगा. किराए का मकान भी पांच हजार से कम में नहीं मिलेगा. हम गरीब आदमी हैं, अब हम कहां जाएंगे. कुछ समझ नहीं आ रहा है.”

जब उनसे पूछा गया कि आपने यह मकान किससे खरीदा था, तो उन्होंने कहा कि हमने यह किसी से नहीं खरीदा था. लेकिन, हम यहां पर लंबे समय से रह रहे हैं. अब प्रशासन ने इसे ध्वस्त करने का फैसला किया है. अब हम क्या करें? पुलिस प्रशासन ही हमें कुछ बताए.

स्थानीय निवासी नेचमंद ने कहा, “मैंने एक लाख रुपए में यहां पर मकान खरीदा था. इसके बाद यहां पर बिजली वगैरह की भी व्यवस्था की गई, ताकि किसी को कोई दिक्कत नहीं हो. हम यहां पर पिछले आठ साल से रह रहे हैं. मैंने कार्यालय जाकर अपने घर में बिजली लगवाई थी. कुछ दिनों पहले खबर आई थी कि यहां पर पानी की व्यवस्था भी की जाएगी. हम लोग यहीं के रहने वाले हैं. अब निगम ने कुछ मकानों को ध्वस्त करने का फैसला किया है, तो कुछ को छोड़ भी दिया गया है.”

उन्होंने कहा कि एक महीने पहले ही निगम से कुछ अधिकारी आए थे और जिन मकानों को ध्वस्त किया जाना है, उस पर निशान लगा दिया, ताकि उसे ध्वस्त किया जाए. हालांकि, हमारे मकान पर किसी भी प्रकार का निशान नहीं लगाया गया था. हमारी सरकार से गुजारिश है कि हमारे मकान को ध्वस्त न करें, क्योंकि हमने इसे पाई-पाई जोड़कर बनाया है.

बता दें कि इससे पहले भी यहां नगर निगम की टीम अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई करने पहुंची थी, जिसे स्थानीय लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा था. लोगों ने अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई करने आए नगर निगम के अधिकारियों पर पत्थरबाजी भी की थी.

एसएचके/एकेजे