आर्थिक सर्वेक्षण में ‘अमृत काल’ के लिए 6 प्रमुख विकास क्षेत्रों की सूची जारी

नई दिल्ली, 22 जुलाई . आर्थिक सर्वेक्षण 2023-2024 में कहा गया कि अर्थव्यवस्था में सुधारों के सफल 10 साल बीतने के बाद, सरकार का ध्यान नीचे से ऊपर तक सुधार और शासन की पाइपलाइन को मजबूत करने पर केंद्रित होना चाहिए, ताकि पिछले दशक में अर्थव्यवस्था में जो संरचनात्मक सुधार हुए वह मजबूत, टिकाऊ, संतुलित और समावेशी हो सकें.

पिछले 10 वर्षों में सरकार ने अर्थव्यवस्था के स्वास्थ्य को बेहतर करने, मांग और आपूर्ति के बीच की बाधाओं को दूर करने, संभावित विकास को बढ़ाने और अपनी क्षमताओं को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित करते हुए बड़े पैमाने पर सुधार किए, जो ‘अमृत काल’ और वर्तमान में लोगों की विकास आकांक्षाओं को पूरा करने में सक्षम हैं.

सर्वेक्षण के अनुसार, ‘अमृत काल’ की विकास रणनीति छह प्रमुख क्षेत्रों पर आधारित है.

आर्थिक सर्वेक्षण दस्तावेज में जोर दिया गया, ”सबसे पहले, निजी निवेश को बढ़ावा देने पर जानबूझकर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए. दूसरे, भारत की ‘मित्तेलस्टैंड’ (एमएसएमई) की वृद्धि और विस्तार एक रणनीतिक प्राथमिकता है. तीसरा, भविष्य के विकास के इंजन के रूप में कृषि की क्षमता को पहचाना जाना चाहिए और नीतिगत बाधाओं को दूर किया जाना चाहिए. चौथा, भारत में ग्रीन ट्रांजिशन (जीटी) के वित्तपोषण को सुरक्षित करने की आवश्यकता है. पांचवां, शिक्षा-रोजगार के अंतर को पाटना होगा. और अंत में, भारत की प्रगति को बनाए रखने और तेज करने के लिए राज्य की क्षमता और योग्यता का बेहतर निर्माण आवश्यक है.”

वैश्विक विश्वास की कमी देशों को आत्मनिर्भर बनने और विशेष रूप से रणनीतिक महत्व के क्षेत्रों में बाहरी दबाव से बचाने पर केंद्रित नीतियों को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित कर रही है.

सर्वेक्षण में कहा गया है, “इसलिए, अपने अंदर की नीतियों के साथ ही बाहर के लिए जो नीतियां हैं, उनके बीच संतुलन बनाने के साथ इस पर और अधिक सूक्ष्मता से विचार करने की जरूरत है.”

इसके अनुसार, वैश्विक अर्थव्यवस्था के सामने मौजूद खड़े कई संकटों को देखते हुए, सभी देशों के पास इस तरह की नीतियों के लिए स्थान सीमित हैं.

इसलिए, नीति निर्माताओं के लिए ट्रेड-ऑफ़ की मान्यता और स्वीकृति पहले से अधिक आवश्यक हो गई है.

सर्वेक्षण में सुझाव दिया गया, “अगला चरण यह सुनिश्चित करने का है कि इन सुधारों को सही ढंग से लागू किया जाए. इसके लिए राज्य सरकारों, निजी क्षेत्र और नागरिकों के साथ बेहतर जुड़ाव की आवश्यकता होगी.”

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