तरनतारन फर्जी एनकाउंटर मामले में पूर्व एसएसपी-डीएसपी समेत पांच पुलिस अधिकारियों को उम्रकैद

मोहाली, 4 अगस्त . पंजाब के तरनतारन में साल 1993 के फेक एनकाउंटर मामले में मोहाली की स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने Monday को फैसला सुनाते हुए दोषी पंजाब पुलिस के पूर्व एसएसपी और डीएसपी समेत पांच पुलिस अधिकारियों (सभी सेवानिवृत्त) के खिलाफ सजा का ऐलान किया. सीबीआई अदालत ने पांचों सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारियों को उम्रकैद और प्रत्येक पर 3.5 लाख रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई.

फर्जी मुठभेड़ मामले में सेवानिवृत्त एसएसपी भूपिंदरजीत सिंह, सेवानिवृत्त डीएसपी देविंदर सिंह, सेवानिवृत्त एएसआई गुलबर्ग सिंह, सेवानिवृत्त एएसआई रघुबीर सिंह और सेवानिवृत्त इंस्पेक्टर सूबा सिंह को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है.

यह मामला 30 जून 1999 को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंपा गया था, जिसे Supreme court द्वारा 12 दिसंबर 1996 के आदेश के आधार पर आपराधिक रिट याचिका संख्या 497/1995 में परमजीत कौर बनाम पंजाब राज्य के रूप में दर्ज किया गया था.

जांच पूरी होने के बाद यह साफ हो गया था कि इंस्पेक्टर गुरदेव सिंह, एसएचओ पीएस के नेतृत्व में पुलिस टीम ने 27 जून 1993 को तरनतारन के सरहाली से शिंदर सिंह, सुखदेव सिंह और देसा सिंह (पंजाब पुलिस के सभी एसपीओ) का अपहरण किया था. इसी प्रकार बलकार सिंह उर्फ काला का भी उसी दिन अपहरण किया गया.

इसके अलावा, थाना वेरोवाल के एसएचओ सूबा सिंह ने जुलाई 1993 में सरबजीत सिंह उर्फ साबा और हरविंदर सिंह को अपहृत किया था.

इसके बाद तात्कालिक डीएसपी भूपिंदरजीत सिंह और थाना सिरहाली के अधिकारियों के नेतृत्व में पुलिस टीम ने फर्जी मुठभेड़ में 12 जुलाई 1993 को शिंदर सिंह, देसा सिंह, बलकार सिंह और मंगल सिंह नामक एक व्यक्ति को मार गिराया.

इसके अलावा, इसी पुलिस टीम ने 28 जुलाई 1993 को सुखदेव सिंह, सरबजीत सिंह उर्फ साबा और हरविंदर सिंह को ढेर कर दिया. इस मामले में सीबीआई ने 31 मई 2002 को 10 आरोपी पुलिस अधिकारियों के विरुद्ध आरोप पत्र दायर किया था, जिनमें से पांच पुलिस अधिकारियों का मुकदमे के दौरान ही निधन हो गया.

डीकेपी/एबीएम