दिल्ली के उपराज्यपाल ने ‘चरमराते’ स्वास्थ्य ढांचों पर सौरभ भारद्वाज को लिखा पत्र

नई दिल्ली, 5 अप्रैल . दिल्ली के उप-राज्यपाल वी.के. सक्सेना ने राज्य के स्वास्थ्य मंत्री सौरभ भारद्वाज को पत्र लिखकर कहा है कि स्वास्थ्य सेवा वितरण का ‘दिल्ली मॉडल’ जर्जर स्थिति में है और “ऐसा प्रतीत होता है कि यह जीवन रक्षक वेंटिलेटर पर है”.

उपराज्यपाल ने लिखा, “मैं 4 अप्रैल के आपके नोट के संदर्भ में लिख रहा हूं, जिसमें डॉ. हेडगेवार आरोग्य संस्थान और चाचा नेहरू बाल चिकित्सालय में बुनियादी कंज्यूमेबल सामग्रियों की कमी की ओर ध्यान आकर्षित किया गया है. आमतौर पर, मैं यह पत्र मुख्यमंत्री के नाम लिखता, लेकिन उनकी अनुपस्थिति में, वर्तमान परिस्थितियों में, मैं यह संचार सीधे आपको संबोधित करने के लिए बाध्य हूं.

“आपको याद होगा कि पिछले एक सप्ताह में दो मौकों पर, मैंने आपसे दी गई परिस्थितियों में स्वास्थ्य सेवा से संबंधित सार्वजनिक महत्व के मुद्दों पर चर्चा के लिए आने का अनुरोध किया था. हालांकि, आपने निमंत्रण को नजरअंदाज किया और इसकी बजाय न आने के लिए तुच्छ बहाने बना लिए.

“इस तरह के संचार का एकमात्र उद्देश्य प्रशासन में खामियों के लिए अपनी जिम्मेदारी से बचना और सार्वजनिक मंच पर झूठी कहानी बनाना है”.

एलजी ने पत्र में आरोप लगाया, “मुद्दे को सीधे तौर पर उठाने की बजाय आपने लगातार भ्रामक संदेश भेजने और मीडिया में आरोप-प्रत्यारोप करने का विकल्प चुना है. एक हालिया उदाहरण है जहां आपको और आपके स्वास्थ्य सचिव को उच्च न्यायालय में एक मामले में व्यक्तिगत रूप से पेश होने के लिए कहा गया था.

“अदालत स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे की दयनीय स्थिति से इतनी व्यथित थी कि खंडपीठ ने आपको खुली अदालत में कारावास की धमकी दी. यह आपके लिए अपने विभाग में सुचारू कामकाज के लिए सुधारात्मक उपाय करने का पर्याप्त कारण होना चाहिए था.”

उन्होंने कहा, “मुझे आश्चर्य है कि दिल्ली सरकार द्वारा संचालित राष्ट्रीय राजधानी के अस्पताल में कॉटन जैसी बुनियादी सामग्रियां भी नहीं हैं. आपने एक केंद्र में आर्थोपेडिक डॉक्टर की अनुपलब्धता पर भी प्रकाश डाला है.”

उपराज्यपाल ने दावा किया कि स्थिति इतनी खराब है कि उच्च न्यायालय को हाल ही में कदम उठाना पड़ा और स्वास्थ्य सुविधाओं का उचित मूल्यांकन करने और सुधारात्मक कदम उठाने के लिए एक रोडमैप प्राप्त करने के लिए डॉक्टरों की एक समिति गठित करनी पड़ी.

उपराज्यपाल के पत्र में आगे कहा गया है, “यह दुःखद स्थिति पिछले 10 साल के दौरान स्वास्थ्य प्रशासन के पतन की ओर इशारा करती है, जो आपके लिए चिंता और आत्मनिरीक्षण का कारण होना चाहिए. मुझे आपको याद दिलाना होगा कि स्वास्थ्य एक ऐसा विषय है जो …दिल्ली सरकार को पूरी तरह स्थानांतरित कर दिया गया है. प्रभारी मंत्री के रूप में, आपको मंत्रिपरिषद में आपको सौंपे गए विभागों पर निर्णय लेने से नहीं कतराना चाहिए.

“आदर्श रूप से इस गंभीर स्थिति पर मंत्रिपरिषद में बहुत पहले ही चर्चा की जानी चाहिए थी, जो सरकार की सर्वोच्च विचार-विमर्श वाली नीति-निर्माण संस्था है.”

उपराज्यपाल ने कहा है, “मैं एक बार फिर आपसे नेतृत्व प्रदर्शित करने और गंभीर कार्रवाई के लिए एक रोडमैप तैयार करने का आग्रह करूंगा. इस विषय पर एक श्वेत पत्र एक उपयोगी प्रारंभिक बिंदु हो सकता है. आप मार्गदर्शन के लिए विशेषज्ञों को शामिल कर सकते हैं. मुझे उम्मीद है कि आप मेरी सलाह को सही भावना में स्वीकार करेंगे और अपने वरिष्ठ सहयोगियों से भी सलाह लेकर अपने प्रभार के तहत विभागों के प्रशासन को फिर से मजबूत करेंगे.”

एकेजे/