नई दिल्ली, 29 फरवरी . दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने गुरुवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधते हुए कहा कि उन्होंने तथाकथित ‘जल योजना’ से संबंधित उठाए गए किसी भी मुख्य मुद्दे का समाधान नहीं किया है.
इस मामले पर विवाद तब और बढ़ गया, जब बुधवार को सक्सेना के खुले पत्र में इस मामले पर केजरीवाल की प्रतिक्रिया की आलोचना की गई.
सक्सेना ने अपने पत्र में पिछले टकरावों की याद दिलाते हुए केजरीवाल और उनकी पार्टी के सदस्यों द्वारा उपराज्यपाल के खिलाफ पहले की गई “अपमानजनक टिप्पणियों” पर भी प्रकाश डाला था.
गुरुवार को लिखे ताजा पत्र में उन उदाहरणों का जिक्र किया गया है, जिनमें केजरीवाल और उनके सहयोगियों ने सक्सेना को बदनाम किया और उनके अधिकार व ईमानदारी पर सवाल उठाए.
सक्सेना ने ‘जल योजना’ पर ठोस प्रतिबद्धता की कमी की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए उपराज्यपाल द्वारा उठाई गई महत्वपूर्ण चिंताओं को नजरअंदाज करने के कारण केजरीवाल की आलोचना की.
उपराज्यपाल ने पत्र में कहा, “कल देर रात मिले आपके पत्र ने मुझे अतीत को फिर से देखने और आपके और सरकार तथा पार्टी में आपके सहयोगियों द्वारा दिए गए बयानों को याद करने के लिए मजबूर किया. मुझे आपके संदर्भ के लिए कुछ बयां करने की अनुमति दें.”
उपराज्यपाल ने लिखा है : “यह एलजी कहां से आया… यह एलजी कौन है, वह कहां से आया… किस मामले के लिए, क्या एलजी… यह एलजी कौन है… उपराज्यपाल कौन है… वह आया है और उपराज्यपाल ने खुद को हमारे सिर पर बैठाया…” (हालांकि आपको दिल्ली विधानसभा में की गई ये टिप्पणियां याद होंगी, लेकिन स्वर और तीव्रता पूरी तरह से कागज पर व्यक्त नहीं की जा सकती).”
सक्सेना ने पत्र में उल्लेख किया है, “दिल्ली के उपराज्यपाल सक्सेना 1,400 करोड़ रुपये के घोटाले में शामिल हैं…जैसा कि आतिशी ने कहा. एलजी सक्सेना ने खुलासा किया…नोटबंदी के दौरान भ्रष्टाचार में शामिल थे, जैसा कि सौरभ भारद्वाज ने कहा.”
उपराज्यपाल ने कहा कि “यह स्पष्ट है कि आपको और आपके सहयोगियों को मेरे खिलाफ मानहानिकारक बयानों के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा चेतावनी दी गई थी. मुझे विधानसभा में आपकी टिप्पणियों के बारे में भी सूचित किया गया है.”
केजरीवाल के सात पन्नों के व्यापक जवाब के बावजूद एलजी सक्सेना ने प्रस्तावित योजना या प्रासंगिक मुद्दों के समाधान के लिए सार्थक चर्चा नहीं किए जाने पर अफसोस जताया.
सक्सेना के लिए विशेष चिंता का विषय उन ईमानदार उपभोक्ताओं की उपेक्षा थी, जिन्होंने 2012 से लगातार पानी के बिलों का भुगतान किया है.
उन्होंने इस मामले पर केजरीवाल की चुप्पी पर हैरानी जताते हुए इन उपभोक्ताओं के लिए प्रतिपूर्ति योजना नहीं रहने को रेखांकित किया.
इसके अलावा, सक्सेना ने पिछले नौ वर्षों में केजरीवाल के शासन की प्रभावशीलता पर सवाल उठाते हुए दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) के भीतर प्रणालीगत विफलताओं को उजागर किया.
उन्होंने बढ़े हुए बिलों, दोषपूर्ण जल मीटरों और बिगड़ती सार्वजनिक सेवाओं के उदाहरणों का हवाला देते हुए कथित कुप्रबंधन के लिए सीएम प्रशासन की भी आलोचना की.
अपने कार्यकाल के दौरान रुकी हुई परियोजनाओं के केजरीवाल के आरोपों पर सक्सेना ने दोहराया कि ऐसे मामले सीएम के अधिकार क्षेत्र में आते हैं.
उन्होंने केजरीवाल से अपने नेतृत्व के दृष्टिकोण पर विचार करने और दिल्ली के निवासियों की भलाई के लिए सहयोग करने का आग्रह किया.
सक्सेना ने अंत में सामूहिक कार्रवाई की जरूरत पर जोर दिया और केजरीवाल से राजनीतिक रुख के बजाय शहर के कल्याण को प्राथमिकता देने का आग्रह किया.
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