डीडीसीडी को अस्थायी रूप से भंग करने पर एलजी और ‘आप’ में फिर टकराव की स्थिति

नई दिल्ली, 27 जून . दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने दिल्ली डायलॉग एंड डेवलपमेंट कमीशन (डीडीसीडी) को अस्थायी रूप से भंग कर दिया है. इसके साथ ही इसके गैर आधिकारिक सदस्यों को भी हटाने के आदेश दिए हैं.

एलजी की तरफ से जारी आदेश में कहा गया है कि मौजूदा सरकार ने डीडीसीडी का गठन सिर्फ फाइनेंशियल बेनिफिट्स बढ़ाने और कुछ पसंदीदा राजनीतिक लोगों के प्रति भेदभावपूर्ण झुकाव रखते हुए उन्हें संरक्षण देने के लिए किया था.

वहीं, आम आदमी पार्टी ने एलजी के आदेश को ‘छोटी राजनीति’ बताया. दिल्ली सरकार फैसले के खिलाफ कोर्ट जाने की तैयारी भी कर रही है.

एलजी विनय कुमार सक्सेना की तरफ से डीडीसीडी की पारदर्शी प्रक्रिया पर सवाल खड़ा करते हुए कहा गया है कि इसके लिए कोई स्क्रीनिंग मानदंड नहीं अपनाए गए. इसमें सरकारी खजाने से वेतन का भुगतान किया गया. इस मामले में नियमों की अवहेलना की गई और भाई-भतीजावाद को बढ़ावा दिया गया. एलजी ने योजना विभाग के रिकॉर्ड का भी जिक्र करते हुए कहा है कि डीडीसीडी के सदस्यों के बीच किसी तरह के कार्य का आवंटन नहीं किया गया है.

उन्होंने कहा है कि इसमें सिर्फ गैर आधिकारिक सदस्यों की ओर से भारी भरकम वेतन लिया जा रहा था, जो सीधे तौर पर अवैध है.

इस मामले पर आम आदमी पार्टी के नेता सौरभ भारद्वाज ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने सोशल मीडिया के जरिए कहा, “यह सर्वविदित है कि केंद्र सरकार या भाजपा शासित राज्य सरकारों के सभी आयोगों, समितियों, बोर्ड में बिना किसी परीक्षण, साक्षात्कार के राजनीतिक नियुक्तियां होती हैं. यह एक पुरानी प्रथा है. महिला आयोग, एससी/एसटी आयोग सभी जीवंत उदाहरण हैं.”

उन्होंने आरोप लगाया, “विडंबना यह है कि एलजी के रूप में विनय सक्सेना की नियुक्ति बिना किसी विज्ञापन, परीक्षण या साक्षात्कार के एक राजनीतिक नियुक्ति है. अगर एलजी के पद के लिए अखबारों में विज्ञापन दिया गया तो एलजी साहब को इस देश के लोगों को जागरूक करना चाहिए. संभवत: उन्होंने एलजी बनने के लिए लिखित परीक्षा दी थी. एलजी सिर्फ दिल्ली सरकार का कामकाज रोकना चाहते हैं. वह जानबूझकर इन विभागों को अस्थायी रूप से बंद कर कामकाज को प्रभावित करना चाहते हैं.”

पीकेटी/एबीएम