New Delhi, 18 सितंबर . हल्दी हमारे किचन का सबसे जरूरी मसाला है. यह न केवल भोजन को स्वाद और रंग प्रदान करती है, बल्कि सेहत के लिए भी काफी फायदेमंद है. आयुर्वेद के अनुसार, इसे जीवन रक्षक औषधि भी माना गया है.
हल्दी में मौजूद करक्यूमिन नामक तत्व इसे एक प्राकृतिक एंटीबायोटिक और नेचुरल स्टेरॉयड बनाता है. करक्यूमिन में मौजूद गुण इसे शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी बनाते हैं, जिससे यह शरीर में अनेक रोगों से बचाव करती है.
शोध बताते हैं कि काली मिर्च के साथ सेवन करने पर करक्यूमिन का अवशोषण शरीर में दो हजार गुना तक बढ़ जाता है. यही कारण है कि हल्दी को दवाइयों में भी प्रमुखता से प्रयोग किया जाता है.
हल्दी का सेवन मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है. यह मस्तिष्क में सेरोटोनिन और डोपामाइन हार्मोन को बढ़ाकर मूड को अच्छा बनाती है तथा चिंता और अवसाद जैसी समस्याओं को कम करने में सहायक होती है. कैंसर जैसी घातक बीमारियों से लड़ने में भी हल्दी कारगर है, क्योंकि करक्यूमिन कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि को रोकने में मदद करती है.
इसके अलावा यह गठिया और जोड़ों के दर्द को कम करने वाली प्राकृतिक पेनकिलर भी है. हल्दी हृदय के लिए भी फायदेमंद है, क्योंकि यह धमनियों में ब्लॉकेज बनने से रोकती है और हृदयाघात के खतरे को कम करती है. नियमित सेवन से यह पाचन को मजबूत बनाती है और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है.
हल्दी का सेवन सौंदर्य के लिए भी वरदान है. यह त्वचा की रंगत निखारती है, दाग-धब्बे दूर करती है और एंटी-एजिंग गुणों के कारण झुर्रियों को रोकती है. यही कारण है कि भारतीय परंपराओं में शादी से पहले हल्दी का लेप लगाने की रस्म की जाती है.
आयुर्वेद में हल्दी का विशेष महत्व बताया गया है. इसे सुबह खाली पेट गुनगुने पानी के साथ, दूध में मिलाकर या शहद के साथ लेने की सलाह दी जाती है. विशेष रूप से हल्दी वाला दूध, जिसे गोल्डन मिल्क कहा जाता है, सर्दी-जुकाम, खांसी और थकान जैसी समस्याओं को दूर करने का बेहतरीन उपाय है.
हल्दी और शहद का मिश्रण खांसी में तुरंत आराम देता है. हल्दी, अदरक और तुलसी का काढ़ा प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में भी प्रभावी है.
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पीआईएम/एबीएम