भोपाल 17 नवंबर . मध्य प्रदेश की राजनीति में बीते कुछ सालों में दल-बदल का खेल जोरों पर चला है और बड़ी तादाद में कांग्रेस नेताओं ने भाजपा का दामन थामा है. जो नेता कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए हैं, वे सत्ता में हिस्सेदारी की आस लगाए हैं, मगर उनकी आस अब तक अधूरी है.
राज्य में सबसे बड़ा दल बदल वर्तमान में केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की अगुवाई में वर्ष 2020 में हुआ था, जब 22 विधायकों ने एक साथ पाला बदला था और कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस की सरकार गिर गई थी. उसके बाद तो कांग्रेस के कई नेताओं ने पाला बदला. सिंधिया के साथ जिन नेताओं ने दल बदल किया, उनमें से कई नेता तो सत्ता में हिस्सेदार बने हुए हैं, तो वही अन्य अब भी अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं.
पिछले विधानसभा और लोकसभा चुनाव के दौरान भी कांग्रेस के कई बड़े नेताओं ने दल बदल किया. इनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश पचौरी, पूर्व सांसद गजेंद्र सिंह राजूखेड़ी के अलावा कमलनाथ के करीबियों में गिने जाने वाले दीपक सक्सेना और अमरवाड़ा के विधायक कमलेश शाह प्रमुख हैं. वहीं कई पूर्व विधायक भी भाजपा में शामिल हुए हैं. यह ऐसे नेता हैंं, जो भाजपा में आने के बाद बड़ी जिम्मेदारी हासिल करने की उम्मीद लगाए बैठे हैं.
ज्ञात हो कि राज्य में डाॅ. मोहन यादव के नेतृत्व में बने भाजपा की सरकार को 11 माह का वक्त बीत गया है. इस दौरान कुछ मंडल और निगमों में ही नियुक्तियां हुई हैं. पार्टी की कोर कमेटी की कई दौर की बैठकें हो चुकी हैं और अभी अंतिम फैसला नहीं हो पाया है.
भाजपा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि आगामी समय में निगम और मंडल में नियुक्तियां होने वाली हैं, इनमें पार्टी के पुराने और निष्ठावान कार्यकर्ताओं को जगह दिए जाने के साथ दल बदल करने वालों को भी जिम्मेदारी सौंपी जा सकती है. इसके लिए सत्ता और संगठन में मंथन का दौर जारी है. आने वाले दिनों में फैसला होने की भी संभावना है.
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एसएनपी/