नेताओं को मंदिर की सुविधाओं का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं : कनाडाई हिंदू संगठन

ओटावा, 4 नवंबर . ब्रैंपटन में ‘हिंदू सभा मंदिर’ और भक्तो पर रविवार को हुए हमलों से हिंदू संगठनों में खासा रोष हैं. उनकी तरफ से ऐलान किया गया है कि अब राजनेताओं को राजनीतिक उद्देश्यों के लिए मंदिर सुविधाओं का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं दी जाएगी. यह प्रतिबंध तक तक जारी रहेगा, जब तक कि वे बढ़ते खालिस्तानी चरमपंथ के खिलाफ ठोस कदम नहीं उठाते.

कनाडाई राष्ट्रीय हिंदू परिषद (सीएनसीएच) और हिंदू फेडरेशन ने मंदिर के नेताओं और कई हिंदू एडवोकेसी ग्रुप्स के साथ मिलकर यह घोषणा की.

कनाडा समय के अनुसार रविवार शाम को खालिस्तानी चरमपंथियों ने ब्रैम्पटन में हिंदू सभा मंदिर के परिसर के अंदर हिंदू-कनाडाई भक्तों पर हमला किया. सोशल मीडिया पर इस घटना के वीडियो वायरल हो गए और और कनाडा के कई नेताओं सहित दुनिया भर में इसकी निंदा हुई.

सीएनसीएच ने कहा कि खालिस्तानी समर्थकों की तरफ से ब्रैम्पटन में किए गए हिंसक हमले ने कनाडा के हिंदू समुदाय की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएं पैदा कर दी हैं.

सोमवार को जारी एक बयान में कहा गया, “प्रदर्शनकारी कथित तौर पर मंदिर के मुख्य द्वार पर इक्ट्ठा हुए, जबरन परिसर में घुस गए और मंदिर के सदस्यों और आगंतुकों पर हमला किया, इस घटना ने समुदाय का हिला कर रख दिया है और वह कार्रवाई की मांग कर रहा है.”

बयान में उल्लेख किया गया कि हाल के वर्षों में हिंदू कनाडाई लोगों को हिंसा की बढ़ती लहर का सामना करना पड़ा है. हिंदू पूजा स्थलों की मजबूत सुरक्षा के लिए समुदाय के नेताओं की ओर से बार-बार अपील की गई. इसके बावजूद राजनीतिक नेता बढ़ती शत्रुता को दूर करने के लिए ठोस कदम उठाने में विफल रहे हैं.

बयान में आगे कहा गया, “कनाडा भर में हिंदू मंदिर और संस्थाएं अब राजनेताओं को राजनीतिक उद्देश्यों के लिए मंदिर की सुविधाओं का उपयोग करने की अनुमति नहीं देंगी. राजनेता, चाहे वे किसी भी पार्टी से जुड़े हों, भक्त के रूप में मंदिर में आना जारी रख सकते हैं, लेकिन जब तक वे खालिस्तानी चरमपंथ के मुद्दे को हल करने के लिए ठोस प्रयास नहीं करते, उन्हें मंदिर की सुविधाओं के इस्तेमाल की अनुमति नहीं मिलेगी. यह निर्देश हिंदू समुदाय की अपने पवित्र स्थलों की सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है और सभी कनाडाई लोगों की सुरक्षा और सम्मान सुनिश्चित करने के लिए कार्रवाई की उनकी मांग को प्रकट करता है.”

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