मध्य प्रदेश में सिविल जज परीक्षा के नतीजे पर नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने उठाए सवाल

Bhopal , 17 नवंबर . Madhya Pradesh में हाल ही में सिविल जज परीक्षा के परिणाम घोषित किए गए. इन नतीजों पर विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने कहा कि ये नतीजे एक बार फिर गंभीर प्रश्न खड़ा करते हैं कि क्या हमारी व्यवस्था हर वर्ग को समान अवसर उपलब्ध कराने में सफल हो पा रही है.

उन्‍होंने कहा कि ऐसा इसलिए क्योंकि 191 पदों के लिए परीक्षा हुई, लेकिन अंततः केवल 47 अभ्यर्थियों का चयन हुआ. सबसे चिंताजनक तथ्य यह है कि अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित 121 पदों पर एक भी चयन नहीं हो सका. यह स्थिति किसी भी संवेदनशील राज्य के लिए चिंता का विषय है.

उमंग सिंघार ने आगे कहा कि सिविल जज परीक्षा के परिणाम घोषित होते ही पूरे प्रदेश में एक व्यापक और स्वाभाविक बहस शुरू हो गई है. लोग यह समझना चाहते हैं कि इतने बड़े पैमाने पर आरक्षित पद रिक्त रह जाना क्या किसी गहरी संरचनात्मक कमी की ओर संकेत करता है? यह चर्चा इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें कई स्तरों पर स्पष्टता की आवश्यकता है, चाहे वह परीक्षा प्रणाली के तकनीकी पहलू हों, तैयारी के संसाधनों का असमान वितरण हो, या फिर सामाजिक और शैक्षिक पृष्ठभूमि का प्रभाव.

नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि यह स्पष्ट करना आवश्यक है कि मुद्दा न्यायपालिका या उसकी चयन प्रक्रिया पर प्रश्न उठाने का नहीं है और न ही मेरिट बनाम आरक्षण की बहस छेड़ने का. हम केवल इतना कह रहे हैं कि सही मेरिट तभी संभव है जब सभी वर्गों को तैयारी और सीखने के समान अवसर मिलें. जब अवसरों और संसाधनों में असमानता गहरी हो, तब मेरिट अपने वास्तविक स्वरूप में सामने ही नहीं आ पाती और यही स्थिति अनुसूचित जाति और जनजाति तथा वंचित विद्यार्थियों को सबसे अधिक प्रभावित करती है.

उन्होंने कहा कि न्याय केवल निर्णय देने का नाम नहीं है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना है कि न्याय तक पहुंचने का रास्ता हर नागरिक के लिए समान और सुगम हो, इसलिए यह आवश्यक है कि राज्य ऐसी नीतियां और संरचनाएं विकसित करे जो वंचित समुदायों को न्यायिक सेवा में प्रवेश के लिए वास्तविक और बराबरी के अवसर प्रदान करें.

एसएनपी/एएसएच