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New Delhi, 28 नवंबर . दोपहर का समय अक्सर हमारी ऊर्जा का लो-पॉइंट होता है. खाना पच रहा होता है, शरीर रिलैक्स मोड में होता है और थकान जल्दी लग सकती है. आयुर्वेद इसे पित्त प्रधान समय मानता है. इस दौरान पाचन मजबूत होता है, लेकिन सुस्ती भी जल्दी आने लगती है. ऐसे में अगर आप कुछ आसान आदतें अपनाएं, तो दिन का बाकी समय बहुत एक्टिव और प्रोडक्टिव बनाया जा सकता है.
सबसे पहले अपने दोपहर के खाने पर ध्यान दें. हल्का और संतुलित भोजन लें. भूख से थोड़ा कम ही खाएं. दाल, सब्जी, चावल या रोटी और थोड़ा घी एक अच्छा कॉम्बिनेशन है. दही थोड़ी मात्रा में लेना फायदेमंद है. बहुत ज्यादा मसाले या मीठा खाने से ऊर्जा जल्दी गिर सकती है. खाने के तुरंत बाद मोबाइल पर स्क्रॉल न करें. शरीर को पचाने का समय दें.
दूसरी आसान आदत है खाना खाने के बाद 10-15 मिनट की हल्की वॉक. इसे आयुर्वेद में भोजन पश्चात विहार कहा गया है. तेज चलने की जरूरत नहीं, बस आराम से चलें. इससे पाचन सुचारू होता है, रक्त प्रवाह बढ़ता है और दिमाग फ्रेश महसूस होता है. पेट की भारीपन और सूजन भी कम होती है. ऑफिस में गलियारे में छोटी वॉक भी काम कर सकती है. वॉक के बाद 2-3 सिप पानी पी सकते हैं, पर ज्यादा नहीं. यह छोटी एक्टिविटी शरीर को दोबारा एक्टिव गियर में ले आती है और सुस्ती कम करती है.
तीसरी आदत है प्राकृतिक हर्बल एनर्जी बूस्टर का इस्तेमाल. कैफीन पर निर्भर होने की जरूरत नहीं. आप जीरा-पानी या पुदीना-गर्म पानी की 2-3 सिप ले सकते हैं. इससे ब्लोटिंग कम होती है और मेटाबॉलिज्म स्थिर रहता है. 2 मिनट की गहरी सांस लेने से ब्रेन अलर्ट होता है और ऑक्सीजन फ्लो बढ़ता है. गर्म नींबू पानी की थोड़ी मात्रा भी एनर्जी डिप को स्थिर करती है. सिर और गर्दन पर हल्की मालिश करने से भी अलर्टनेस बढ़ती है और आंखों की थकान कम होती है.
दोपहर की ऊर्जा को बनाए रखने के लिए सही भोजन, छोटी वॉक और प्राकृतिक हर्बल बूस्टर काफी हैं. ये तीन छोटे सुधार आपकी प्रोडक्टिविटी बढ़ाते हैं, मन को फ्रेश रखते हैं और काम को स्मूथ बनाते हैं.
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पीआईएम/एबीएम