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तमिलनाडु में वकील अपनी व्यक्तिगत क्षमता से आत्म-सम्मान विवाह करवा सकते हैं : सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली, 28 अगस्त . सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मद्रास उच्च न्यायालय के उस फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि तमिलनाडु में आत्म-सम्मान विवाह गोपनीयता में और अधिवक्ताओं की मौजूदगी में नहीं किया जा सकता.

न्यायमूर्ति रवींद्र भट्ट और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की पीठ ने कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम (तमिलनाडु राज्य संशोधन अधिनियम) की धारा 7 (ए) के तहत अधिवक्ताओं के लिए सुयमरियाथाई विवाह को संपन्न करने पर कोई पूर्ण प्रतिबंध नहीं है.

अदालत ने कहा कि वकील, मित्र, रिश्तेदार या सामाजिक कार्यकर्ता की अपनी व्यक्तिगत क्षमता में, ऐसी शादियां करा सकते हैं, लेकिन अदालत के अधिकारी के रूप में कार्य करते समय नहीं.

वकील ए. वेलन के माध्यम से दायर विशेष अनुमति याचिका में मद्रास उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी गई थी, जिसमें उन वकीलों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने का आदेश दिया गया था, जिनके तत्वावधान में ये आत्म-सम्मान विवाह संपन्न हुए थे.

इसके अलावा, उच्च न्यायालय के आदेश में कहा गया था कि आसपास के कुछ अजनबियों के साथ गुप्त रूप से किया गया विवाह तमिलनाडु में लागू हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 7 और 7-ए के तहत आवश्यक नहीं होगा.

सुयमरियाथाई दो हिंदुओं के बीच विवाह का एक रूप है, जिसे रिश्तेदारों, दोस्तों या अन्य व्यक्तियों की उपस्थिति में संपन्न किया जा सकता है और पुजारी की मौजूदगी जरूरी नहीं है.

एसजीके

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