नई दिल्ली, 24 मार्च . ग्लोबल पैसेंजर व्हीकल (पीवी) इन्फोटेनमेंट सिस्टम की बिक्री में 2024 में सालाना आधार पर 3 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है. सोमवार को जारी एक नई रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई.
रिपोर्ट के अनुसार, ग्लोबल इन्फोटेनमेंट सिस्टम की बिक्री 2025 से 2035 तक 3 प्रतिशत की सीएजीआर से बढ़ने का अनुमान है, जो सालाना 105 मिलियन यूनिट से अधिक होगी.
काउंटरपॉइंट रिसर्च की एक लेटेस्ट रिपोर्ट में कहा गया है कि दक्षिण पूर्व एशिया (एसईए), उत्तरी अमेरिका (कनाडा और मैक्सिको) और मध्य पूर्व और अफ्रीका (एमईए) 2025-2035 के दौरान सबसे तेजी से बढ़ने वाले बाजार होंगे. क्योंकि इन क्षेत्रों में कार की बिक्री लगातार बढ़ रही है और मूल उपकरण निर्माता (ओईएम) लेटेस्ट फीचर्स पेश कर रहे हैं.
हालांकि, वैश्विक स्तर पर बाजार को देखते हुए, हरमन और पैनासोनिक जैसे ग्लोबल सप्लायर्स ने कुछ बाजार हिस्सेदारी खो दी है.
एसोसिएट डायरेक्टर ग्रेग बेसिक ने कहा कि टेस्ला और लीपमोटर जैसी कुछ ऑटोमेकर बेहतर सप्लाई चेन कंट्रोल के उद्देश्य से इन्फोटेनमेंट सिस्टम को असेंबल करने के लिए वर्टिकल इंटीग्रेशन रणनीतियों को अपना रही हैं.
उन्होंने कहा कि यह अप्रोच पारंपरिक इन्फोटेनमेंट सिस्टम सप्लायर्स के लिए चुनौतियां खड़ी कर सकता है, जिससे संभावित रूप से सप्लायर बेस में कंसोलिडेशन हो सकता है क्योंकि इंडस्ट्री सॉफ्टवेयर-डिफाइन्ड व्हीकल की ओर बढ़ रही है.
जैसे-जैसे ऑटोमोटिव इंडस्ट्री सॉफ्टवेयर-डिफाइन्ड व्हीकल की ओर बढ़ रही है, हम देख रहे हैं कि इन्फोटेनमेंट सिस्टम सहित पूरा कॉकपिट पारंपरिक सिंगल-फंक्शन इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल यूनिट्स (ईसीयू) बेस्ड कंट्रोल सिस्टम से हटकर मल्टी-फंक्शन ईसीयू द्वारा कंट्रोल किया जा रहा है.
उन्होंने कहा, “भविष्य में, हम कॉकपिट और एडीएएस फीचर दोनों को इंटीग्रेट करने वाले ज्यादा हाई-परफॉर्मेंस कम्प्यूटिंग (एचपीसी) बेस्ड सिस्टम को देखे जाने की उम्मीद करते हैं.”
यह नया बदलाव क्वालकॉम, एनवीडिया, मीडियाटेक और सैमसंग जैसी ग्लोबल चिपसेट कंपनियों को आकर्षित कर रहा है.”
उपाध्यक्ष रॉस यंग ने कहा, “हम डिस्प्ले साइज रेंज में बदलाव देख रहे हैं, 5 इंच-10 इंच कैटेगरी में स्क्रीन की संख्या घट रही है और 10 इंच-15 इंच कैटेगरी में स्क्रीन की संख्या बढ़ रही है.”
यंग ने कहा, “प्रीमियम और लक्जरी कंपनियां 15 इंच से अधिक के सेंटर इन्फोटेनमेंट डिस्प्ले की पेशकश कर रही हैं, उनकी बाजार हिस्सेदारी 1.5 प्रतिशत से भी कम है.”
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