पाकिस्तान में मारा गया लश्कर-ए-तैयबा का आतंकवादी अबू कताल, राजौरी और रियासी हमलों के लिए था जिम्मेदार

नई दिल्ली, 16 मार्च . लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) का खतरनाक आतंकवादी अबू कताल पाकिस्तान में मारा गया. अबू कताल 2023 के राजौरी हमले और 2024 के रियासी बस हमले में वांछित था.

अबू कताल को फैसल नदीम के नाम से भी जाना जाता था. उसकी देर रात अज्ञात हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी.

जम्मू-कश्मीर में कई घातक हमलों को अंजाम देने में अपनी भूमिका के कारण कताल राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) और भारतीय सेना सहित भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक प्रमुख लक्ष्य था.

26/11 मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के करीबी सहयोगी ने 9 जून, 2024 को जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में हिंदू तीर्थयात्रियों को ले जा रही बस पर हुए हमले में अहम भूमिका निभाई थी. उसके नेतृत्व में किए गए इस हमले में कई लोग मारे गए थे और कई घायल हुए थे. इस कारण क्षेत्र में सुरक्षा संबंधी नई चिंताएं पैदा हो गई थीं.

अबू कताल 2023 के राजौरी आतंकवादी हमले में भी शामिल था, जहां आतंकवादियों ने 1 जनवरी को ढांगरी गांव में नागरिकों को निशाना बनाया और अगले दिन आईईडी विस्फोट किया था. समन्वित हमलों में दो बच्चों समेत सात लोगों की जान चली गई थी और कई अन्य घायल हो गए थे.

एनआईए की जांच में अबू कताल का नाम प्रमुख रूप से सामने आया, जिसमें पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा के हैंडलरों की भूमिका उजागर हुई, जो आतंकवादियों को सीमा पार भेजने और नागरिकों, खासकर अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों और सुरक्षाबलों को निशाना बनाने के लिए भर्ती करते थे.

व्यापक जांच के बाद, एनआईए ने पांच आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी, जिनमें पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा के तीन कमांडर- अबू कताल, सैफुल्लाह उर्फ ​​साजिद जट्ट और मोहम्मद कासिम शामिल थे.

चार्जशीट में विस्तार से बताया गया है कि कैसे कताल ने अपने साथियों के साथ मिलकर क्षेत्र में अस्थिरता पैदा करने के लिए हमलों की योजना बनाने और उन्हें अंजाम देने में अहम भूमिका निभाई थी. मूल रूप से भारत का रहने वाला कासिम 2002 में पाकिस्तान चला गया था और बाद में लश्कर-ए-तैयबा में शामिल हो गया था.

एनआईए के निष्कर्षों से पता चला है कि ये लश्कर के कार्यकर्ता जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों को प्रशिक्षित करने, घुसपैठ करने, नागरिकों पर लक्षित हमले करने और अशांति पैदा करने के प्रयास के लिए सीधे तौर पर जिम्मेदार थे. उनके ऑपरेशन पाकिस्तान स्थित हैंडलरों के सीधे निर्देशों के तहत संचालित किए गए थे, जो दूर से हमलों का समन्वय करते थे.

हालांकि उनकी हत्या की सटीक जानकारी अभी तक सामने नहीं आई है, लेकिन उनकी मौत जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण कदम है. भारतीय सुरक्षा एजेंसियां ​​स्थिति पर लगातार नजर रख रही हैं.

एफजेड/