भाषा सिर्फ संवाद का माध्यम नहीं, संस्कृति को भी प्रदर्शित करती है : हर्षवर्धन सपकाल

Mumbai , 28 जून . Maharashtra Government ने Governmentी स्कूलों में पहली से पांचवी कक्षा तक के लिए हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य कर दिया है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने Government के इस निर्णय का विरोध करते हुए इसे तुरंत वापस लेने की मांग की है.

हर्षवर्धन सपकाल ने समाचार एजेंसी से बात करते हुए कहा, “आजादी के बाद जब भाषा पर चर्चा हुई तो त्रिस्तरीय भाषा का फॉर्मूला Prime Minister जवाहर लाल नेहरू ने दिया था. इसमें एक मातृभाषा थी, एक हिंदी थी और एक अंग्रेजी भाषा थी. संविधान की आठवीं अनुसूची में भी मातृभाषाओं का जिक्र है. भाषाओं का एक साथ चलना जरूरी है. शिक्षा का अधिकार भी कहीं न कहीं इसी उद्देश्य से लागू किया गया था. मराठी मातृभाषा है, इसका भी हिंदी की तरह संवर्धन जरूरी है. भाषा सिर्फ संवाद का माध्यम नहीं होती है बल्कि वह संस्कृति को भी प्रदर्शित करती है. मराठी भाषा मराठी संस्कृति को प्रदर्शित करती है.”

उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी और आरएसएस संविधान की “एकता में अखंडता” वाली धारणा को नकारते हैं. “एक राष्ट्र, एक चुनाव, एक नेता” के बाद वे एक भाषा को भी लागू करना चाहते हैं. हिंदी भाषा को लाकर भाजपा-आरएसएस मातृभाषाओं को खत्म करना चाहते हैं. हम इसके खिलाफ हैं. मराठी भाषा संरक्षण के मुद्दे पर हम पिछले दो महीने से आंदोलन चला रहे हैं. इसमें अन्य लोग भी शामिल हो रहे हैं. हम सभी से संस्कृति को बचाने के नाम पर समर्थन मांग रहे हैं. भाषा का जो मुद्दा चल रहा है, वह Political नहीं है, भाजपा इसे Political रंग दे रही है. Government ने जो भी आदेश दिया है, उसे निरस्त किया जाना चाहिए.

Maharashtra Government के हिंदी भाषा को तीसरी अनिवार्य भाषा के रूप में पढ़ाए जाने के आदेश का राज्य में विपक्षी पार्टियों द्वारा भारी विरोध हो रहा है. शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे और मनसे प्रमुख राज ठाकरे भी इस मुद्दे पर साथ आ गए हैं. राज ठाकरे ने Government के फैसला वापस न लेने की स्थिति में जनआंदोलन की धमकी दी है.

पीएके/एकेजे