गुजरात के कच्छ में भूमि नौका विहार अभियान का आयोजन, 6 दिन में 400 किमी की दूरी तय करेंगे जवान

कच्छ, 15 जनवरी . भारतीय सेना ने बुधवार को कच्छ के रेगिस्तान में आयोजित 77वें सेना दिवस समारोह के तहत भूमि नौका विहार अभियान की शुरुआत की. इस साहसिक अभियान का उद्देश्य सेना के जवानों को कच्छ की सीमा और यहां की भौगोलिक परिस्थितियों से अवगत कराना था. इस अभियान में भारतीय सेना द्वारा पहली बार भूमि नौकायन की शुरुआत की गई.

इस अभियान में कैप्टन वीरेश एसजी के नेतृत्व में 20 जवानों की टीम ने भाग लिया. जवानों ने यानी बिना पानी के चलने वाली हल्की नौकायन नाव के साथ कच्छ के रेगिस्तान में यात्रा की. इस अभियान को ब्रिगेडियर रवींद्र सिंह चीमा ने फ्लैग ऑफ किया. यह साहसिक अभियान कच्छ के धोरडो में शुरू हुआ और 6 दिनों की यात्रा के बाद फिर से धोरडो में इसका समापन होगा. इस यात्रा के दौरान 6 दिनों में 20 जवान 400 किमी की दूरी तय करेंगे. अभियान में शामिल सभी सैनिकों को धोरडो में सम्मानित किया जाएगा.

अभियान के दौरान सेना के जवान धर्मशाला, विधाकोट, धोरडो और शक्ति बेट जैसे क्षेत्रों का दौरा करेंगे. इस यात्रा का एक उद्देश्य कच्छ के ग्रामीण इलाकों में भारतीय सेना के अभियानों और इसके महत्व के बारे में जागरूकता फैलाना भी है. साथ ही, युवाओं को सेना में शामिल होकर देश की सेवा करने के लिए प्रेरित किया जाएगा. अभियान के माध्यम से सेना पर्यावरण जागरूकता फैलाने का भी प्रयास कर रही है. इस दौरान जवानों को कच्छ के अद्वितीय इलाके और जैव विविधता के बारे में जागरूक किया जाएगा. सेना का यह अभियान कच्छ के ग्रामीण इलाकों में भारतीय सेना के महत्व को भी उजागर करेगा.

कच्छ के रेगिस्तान में 617 (स्वतंत्र) एयर डिफेंस ब्रिगेड के तत्वावधान में एयर डिफेंस रेजिमेंट द्वारा 2010 से भूमि नौकायन अभियान चलाया जा रहा है. इस साल, 46 वायु रक्षा रेजिमेंट द्वारा 15 से 20 जनवरी 2025 तक 77वें भारतीय सेना दिवस के अवसर पर भूमि नौकायन अभियान का आयोजन किया गया है. इस साहसिक अभियान को आर्मी एडवेंचर विंग के तत्वावधान में 20 जवानों की एक टीम ने भुज में स्थित लैंड यॉटिंग नोड में प्रशिक्षण लिया. इसमें उत्तरजीविता अभ्यास भी शामिल था, जो सैनिकों को कच्छ के कठिन इलाकों में जीने और काम करने की कठिनाइयों से निपटने के लिए तैयार करता है.

ब्रिगेडियर रवींद्र सिंह चीमा ने मीडिया को बताया कि यह यात्रा रोमांच से भरी हुई है. उन्होंने बताया कि एशिया में केवल एक ही स्थान है, जहां इस तरह की यात्रा की जा सकती है. उन्होंने इस साहसिक अभियान में भाग लेने वाले सैनिकों को बधाई दी और कहा कि सेना इस प्रकार के अभियानों के माध्यम से युवाओं को प्रेरित करेगी, ताकि वह सेना में शामिल होकर देश की सेवा करें.

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