New Delhi, 3 सितंबर . मनुष्य की किस्मत बदलते देर नहीं लगती. उसे बस अपनी मेहनत और पुरुषार्थ पर यकीन होना चाहिए. स्पष्ट लक्ष्य के लिए किया गया परिश्रम मनुष्य को फर्श से अर्श पर पहुंचा देता है. कुछ ऐसी ही कहानी दक्षिण अफ्रीका क्रिकेट इतिहास के एक सर्वश्रेष्ठ ऑलराउंडर की है, जो कभी गन्ने के खेतों में काम किया करता था.
4 सितंबर 1971 को दक्षिण अफ्रीका के नटाल प्रोविंस में एक बच्चे का जन्म हुआ था. परिवार गन्ने के खेत में करता था. बड़े होने के बाद गन्ने के खेत में काम करना बच्चे की नियति थी और वह खुशी खुशी इस काम से जुड़ गया. जुलु भाषा भी सीख ली, जो अफ्रीका की 50 प्रतिशत से अधिक आबादी बोलती है.
क्रिकेट से नाता स्कूल के आखिरी साल में जुड़ा और उस स्कूल की टीम फाइनल में पहुंची थी. क्रिकेट में करियर नहीं बनाना था, तो सेना से जुड़ गए और तीन साल काम किया. सेना में रहते हुए भी क्रिकेट खेला करते थे. इसी दौरान उनकी गेंदबाजी क्षमता ने सभी को प्रभावित किया. वेस्टइंडीज के महान गेंदबाज मैल्कम मार्शल, जो तब अफ्रीकी टीम नटाल के मैनेजर थे, ने पहली बार इस क्रिकेटर को गेंदबाजी करते हुए देखा और उनकी अद्भुत क्षमता को पहचाना.
मार्शल ने इस क्रिकेटर पर लगातार काम किया. 1993-1994 में वह नटाल इलेवन के लिए चुने गए और यहीं से शुरू हुई एक महानतम ऑलराउंडर की यात्रा की शुरुआत. मार्शल की निगरानी में इस युवा क्रिकेटर ने न सिर्फ गेंदबाजी बल्कि अपनी बल्लेबाजी को भी निखारा.
19 जनवरी 1996 को इंग्लैंड के खिलाफ वनडे में दक्षिण अफ्रीका के लिए 25 साल की आयु में एक क्रिकेटर ने डेब्यू किया. नाम था लांस क्लूजनर.
क्लूजनर बाएं हाथ के विस्फोटक बल्लेबाज और दाएं हाथ के मध्यम गति के तेज गेंदबाज थे. अपनी क्षमता के दम पर उन्होंने वनडे और टेस्ट दोनों ही फॉर्मेट में अपनी जगह बना ली.
क्लूजनर दक्षिण अफ्रीका का गोल्डन आर्म माने जाते थे. क्लूजनर की पहचान एक ऐसे गेंदबाज के रूप में बनी जो जमी जमाई जोड़ियों को तोड़ता था. वहीं, बल्लेबाजी के दौरान पांचवें, छठे या सातवें नंबर पर बल्लेबाजी करते हुए वह टीम को लिए मैच फिनिश करते थे. वह तब फिनिशर का काम करते थे, जब यह शब्द चर्चा में भी नहीं था.
क्लूजनर का उत्कर्ष 1999 वनडे विश्व कप में दिखा. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ सेमीफाइनल में अकेले वह टीम के लिए खड़े थे. 16 गेंद पर 31 रन बनाकर खेल रहे थे. स्कोर बराबर था. डोनाल्ड रन आउट न हुए होते तो फिर दक्षिण अफ्रीका फाइनल में होती. लेकिन, किस्मत साथ नहीं थी. लीग मैच में दक्षिण अफ्रीका ऑस्ट्रेलिया से हारी थी. इसलिए उसे फाइनल में जाने का मौका नहीं मिला, लेकिन क्लूजनर ने अपने प्रदर्शन से प्रभावित किया था. टूर्नामेंट में 17 विकेट लेने और 281 रन बनाने वाले क्लूजनर प्लेयर ऑफ द टूर्नामेंट रहे थे. चार बार प्लेयर ऑफ द मैच रहे थे. 2020 में उन्हें विजडन क्रिकेटर ऑफ द ईयर चुना गया था.
171 वनडे मैचों की 137 पारियों में 50 बार नाबाद रहते हुए 41.10 की औसत से 2 शतक और 19 अर्धशतक लगाते हुए क्लूजनर ने 3,576 रन बनाए. साथ ही 192 विकेट लिए. इस दौरान 6 बार उन्होंने एक मैच में 5 या उससे अधिक विकेट लिए. लगभग हर 30वीं गेंद पर विकेट लेने वाले क्लूजनर की इकॉनमी 4.70 थी. बल्लेबाजी और गेंदबाजी का औसत और स्ट्राइक रेट क्लूजनर की असाधारण क्षमता को दिखाता है.
श्रेष्ठ ऑलराउंडर्स की सूची बनाते वक्त अक्सर विशेषज्ञ क्लूजनर का नाम भूल जाते हैं, लेकिन वनडे फॉर्मेट में इस खिलाड़ी के आंकड़े उनकी श्रेष्ठता को प्रदर्शित करते हैं.
49 टेस्ट में 4 शतक की मदद से 1,906 रन बनाने के अलावा 80 विकेट भी उन्होंने लिए. भारत के खिलाफ डेब्यू टेस्ट की दूसरी पारी में क्लूजनर ने 64 रन देकर 8 विकेट लिए थे. दक्षिण अफ्रीका के लिए डेब्यू करते हुए टेस्ट में किसी गेंदबाज का यह श्रेष्ठ प्रदर्शन है.
संन्यास के बाद क्लूजनर कोचिंग के क्षेत्र में सक्रिय हैं. आईपीएल में Lucknow सुपर जाइंट्स से जुड़े हैं.
–
पीएके/एएस