New Delhi, 7 अगस्त . Supreme court ने Thursday को 2021 के लखीमपुर-खीरी हिंसा मामले में आरोपी आशीष मिश्रा उर्फ मोनू के खिलाफ गवाह को प्रभावित करने के आरोपों की जांच के लिए उत्तर प्रदेश Police को निर्देश दिया है. यह मामला किसान आंदोलन के दौरान हुई हिंसा से जुड़ा है, जिसमें पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा पर गंभीर आरोप लगे हैं. दावा किया गया कि आशीष ने गवाह को गवाही न देने के लिए धमकी दी.
Supreme court ने शिकायतकर्ता की ओर से First Information Report दर्ज न करने पर Police पर नाराजगी जताई. कोर्ट ने कहा कि अगर शिकायतकर्ता Police के सामने आने में हिचकिचा रहा है, तो Police को खुद जांच के लिए अधिकारी भेजना चाहिए. कोर्ट ने Lucknow के Police अधीक्षक से इस मामले में हलफनामा दाखिल करने का भी आदेश दिया है. साथ ही, निचली अदालत को निर्देश दिया गया कि वह 20 अगस्त, 2025 तक जितने हो सके उतने गवाहों की गवाही पूरी करे.
इस मामले में वकील प्रशांत भूषण ने आशीष मिश्रा की जमानत रद्द करने की मांग की, जिसमें उन्होंने गवाह को धमकाने का आरोप लगाया. भूषण का कहना था कि गवाहों पर दबाव बनाया जा रहा है. वहीं, आशीष मिश्रा के वकील ने इसका विरोध करते हुए कहा कि इन आरोपों के कोई सबूत नहीं हैं और बार-बार बिना आधार के ऐसी शिकायतें की जा रही हैं.
बता दें कि लखीमपुर-खीरी हिंसा 3 अक्टूबर, 2021 को हुई थी, जब किसानों के प्रदर्शन के दौरान चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत हो गई थी. आरोप है कि आशीष मिश्रा के काफिले की गाड़ी ने किसानों को कुचला था. इसके बाद गुस्साए किसानों ने कुछ लोगों की पिटाई कर दी थी, जिसमें एक पत्रकार की भी जान चली गई थी. Supreme court ने पहले आशीष को जमानत दी थी, लेकिन अब गवाहों को प्रभावित करने के आरोपों के बाद मामले की गंभीरता को देखते हुए जांच का आदेश दिया है. Police की रिपोर्ट के आधार पर आगे की कार्रवाई होगी.
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एसएचके/केआर