किर्गिस्तान : बढ़ रहे फ्लू के मामले, स्कूलों में छात्रों की उपस्थिति पर नजर रख रहा स्वास्थ्य मंत्रालय

बिश्केक, 18 फरवरी . किर्गिस्तान में श्वसन वायरस संक्रमण (एआरवीआई) और फ्लू के मामले बढ़ रहे हैं. इसके चलते स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति पर नजर रखी जा रही है. यह जानकारी स्वास्थ्य मंत्रालय ने दी.

10 से 16 फरवरी के बीच एआरवीआई के 10,796 और फ्लू के 73 मामले सामने आए, जो पिछले हफ्ते की तुलना में 3 प्रतिशत ज्यादा हैं. संक्रमित लोगों में से करीब 4.4 प्रतिशत को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा.

रिपोर्ट में बताया गया कि दिसंबर 2024 के मध्य से फ्लू सीजन में इन्फ्लूएंजा ए/एच1एन1/2009, इन्फ्लूएंजा बी और कोविड-19 की उपस्थिति रहेगी.

समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, महामारी विरोधी उपायों को प्रभावी ढंग से लागू करने और प्रकोप को रोकने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति की निगरानी शुरू कर दी है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, फ्लू एक तेज श्वसन संक्रमण है जो इन्फ्लूएंजा वायरस से होता है. यह दुनिया भर में आम है और ज्यादातर लोग बिना इलाज के ठीक हो जाते हैं.

इन्फ्लूएंजा खांसी या छींक से आसानी से फैलता है. इस बीमारी से बचने का सबसे अच्छा तरीका टीका लगवाना है.

इन्फ्लूएंजा के लक्षणों में तेज बुखार, खांसी, गले में खराश, शरीर में दर्द और थकान शामिल होते हैं.

फ्लू से पीड़ित लोगों को आराम करना चाहिए, ज्यादा पानी या तरल पदार्थ पीने चाहिए. ज्यादातर लोग एक हफ्ते के अंदर ठीक हो जाते हैं. लेकिन, गंभीर मामलों में लोगों को डॉक्टर की मदद की जरूरत हो सकती है.

खांसी गंभीर रूप ले सकती है और दो हफ्ते या उससे ज्यादा समय तक बनी रह सकती है.

ज्यादातर लोग बिना डॉक्टर की मदद के एक हफ्ते के अंदर बुखार और बाकी लक्षणों से ठीक हो जाते हैं. हालांकि, इन्फ्लूएंजा गंभीर बीमारी या मौत का कारण बन सकता है.

इन्फ्लूएंजा पुरानी बीमारियों के लक्षणों को और भी खराब कर सकता है. गंभीर मामलों में यह निमोनिया और सेप्सिस जैसी समस्याओं का कारण बन सकता है. जिन लोगों को दूसरी स्वास्थ्य समस्याएं हैं या जो गंभीर लक्षण महसूस कर रहे हैं, उन्हें डॉक्टर से इलाज लेना चाहिए.

इन्फ्लूएंजा के कारण अस्पताल में भर्ती होने और मृत्यु ज्यादातर उच्च जोखिम वाले लोगों में होती है. विकसित देशों में इन्फ्लूएंजा से होने वाली अधिकांश मौतें 65 वर्ष या उससे अधिक आयु के लोगों में होती हैं.

विकासशील देशों में मौसमी इन्फ्लूएंजा महामारी का प्रभाव पूरी तरह से ज्ञात नहीं हैं, लेकिन शोध का अनुमान है कि इन्फ्लूएंजा से संबंधित निचले श्वसन पथ के संक्रमण से 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों में होने वाली 99 प्रतिशत मौतें विकासशील देशों में होती हैं.

एसएचके/एमके