चेन्नई, 1 अप्रैल . महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर बिना उनका नाम लिए व्यंग्य करने के बाद विवादों में घिरे स्टैंडअप कमीडियन कुणाल कामरा को तमिलनाडु के वनूर में जिला मुंसिफ-सह-न्यायिक मजिस्ट्रेट अदालत ने मंगलवार को ट्रांजिट अग्रिम जमानत दे दी.
कामरा ने मंगलवार को मद्रास उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था, जिसमें ट्रांजिट अग्रिम जमानत की मांग की गई थी. यह उस क्षेत्राधिकार से अलग क्षेत्राधिकार में गिरफ्तारी से अस्थायी सुरक्षा प्रदान करती है, जहां एफआईआर दर्ज की गई है.
कमीडियन के मामले में, महाराष्ट्र के मुंबई में खार पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज की गई थी. मद्रास उच्च न्यायालय ने पहले की सुनवाई में कामरा को 7 अप्रैल तक गिरफ्तारी से अंतरिम सुरक्षा प्रदान की थी.
न्यायमूर्ति सुंदर मोहन ने उन्हें जमानत के लिए औपचारिक रूप से वनूर अदालत में पेश होने का निर्देश दिया था. इस निर्देश के बाद, वनूर अदालत ने यह राहत प्रदान की.
उल्लेखनीय है कि गत 23 मार्च को मुंबई के खार इलाके में हैबिटेट कॉमेडी क्लब में एक शो के दौरान कामरा ने 1997 की बॉलीवुड फिल्म ‘दिल तो पागल है’ के एक गाने की पैरोडी की, जिसका इस्तेमाल शिंदे पर व्यंग्य के लिए किया गया. हालांकि उन्होंने सीधे तौर पर उपमुख्यमंत्री का नाम नहीं लिया, लेकिन कामरा ने उन्हें “गद्दार” कहा, जो शिंदे की पार्टी शिवसेना को गवारा नहीं हुआ.
शिवसेना कार्यकर्ताओं ने विरोध में शो के आयोजन स्थल पर तोड़फोड़ की. कुछ दिनों बाद, बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) ने कॉमेडी क्लब के कुछ हिस्सों को ध्वस्त करने का काम शुरू किया, जिससे घटना की ओर लोगों का ध्यान और अधिक गया.
पूछताछ के लिए उपस्थित न होने के बाद मुंबई पुलिस के कई अधिकारी कथित तौर पर शहर में कामरा के पंजीकृत पते पर गए.
हालांकि, कामरा ने इस कदम की आलोचना करते हुए कहा कि वह एक दशक से अधिक समय से उस पते पर नहीं रह रहे हैं. उन्होंने पुलिस की कार्रवाई को “समय और सार्वजनिक संसाधनों की बर्बादी” कहा.
अपने वकील के माध्यम से पेश हुए कामरा ने अदालत को बताया कि उनके प्रदर्शन का कोई दुर्भावनापूर्ण इरादा नहीं था और उन्होंने किसी व्यक्ति की सीधे तौर पर आलोचना नहीं की थी.
उनके वकील ने तर्क दिया कि उनकी टिप्पणी में कोई छिपा हुआ एजेंडा नहीं था और आरोप लगाया कि पुलिस “बिना उचित कारण के” उन्हें गिरफ्तार करने का प्रयास कर रही थी.
कामरा ने कहा है कि राजनीतिक नेताओं के बारे में मजाक करना कोई अपराध नहीं है.
उन्होंने एक सार्वजनिक बयान में कहा, “एक शक्तिशाली सार्वजनिक व्यक्ति की कीमत पर मजाक को नकारने की आपकी अक्षमता मेरे अधिकार की प्रकृति को नहीं बदलती है.” उन्होंने कथित तौर पर पुलिस से यह भी कहा कि वह अपनी टिप्पणियों के लिए माफी नहीं मांगेंगे.
मद्रास उच्च न्यायालय ने अब कामरा को उनकी जमानत की शर्तों के संबंध में आगे की कार्यवाही के लिए 7 अप्रैल को न्यायालय में पेश होने का आदेश दिया है.
कमीडियन को अस्थायी राहत देने वाली वनूर की अदालत तमिलनाडु के विल्लुपुरम जिले में है.
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एकेजे/