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कोलकाता, 8 नवंबर . Enforcement Directorate (ईडी) की कोलकाता जोनल यूनिट ने Friday को राज्य के विभिन्न इलाकों में छापेमारी की. यह कार्रवाई एक संगठित अनैतिक मानव तस्करी रैकेट की जांच के सिलसिले में की गई, जो मुख्य रूप से पश्चिम बंगाल में बार-कम-रेस्टोरेंट और डांस बारों के माध्यम से संचालित किया जा रहा था.
जांच में खुलासा हुआ है कि आरोपी कमजोर और जरूरतमंद महिलाओं को नौकरी के झूठे वादों के जरिए फंसाकर वेश्यावृत्ति में धकेलते थे और इस धंधे से भारी मात्रा में काले धन (प्रोसीड्स ऑफ क्राइम) का सृजन करते थे.
ईडी ने जिन मुख्य आरोपियों की पहचान की है, उनमें जगजीत सिंह, अजमल सिद्दीकी, विष्णु मुंद्रा और उनके सहयोगी शामिल हैं. यह जांच कई First Information Report पर आधारित है, जो भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), आर्म्स एक्ट, 1959 और अनैतिक तस्करी निवारण अधिनियम, 1986 के तहत दर्ज की गई थी. इन धाराओं के तहत दर्ज अपराध, मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 की अनुसूचित अपराधों की श्रेणी में आते हैं. पश्चिम बंगाल Police ने इन आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट भी दाखिल की है, जिसके आधार पर ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की.
ईडी की जांच में सामने आया कि उक्त आरोपी और उनके नेटवर्क ने एक संगठित रैकेट खड़ा कर रखा था, जिसके तहत वे अपने नियंत्रण वाले बार-कम-रेस्टोरेंट्स के जरिए मानव तस्करी और वेश्यावृत्ति का कारोबार चलाते थे. इन स्थानों पर गरीब और असहाय महिलाओं को नौकरी के नाम पर बुलाया जाता था और फिर उन्हें दबाव डालकर इस अवैध काम में शामिल किया जाता था. इस धंधे से प्राप्त नकद रकम को आरोपी अपनी कई कंपनियों के माध्यम से मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए सफेद करते थे.
छापेमारी के दौरान ईडी ने 1.01 करोड़ रुपए की नकदी, कई डिजिटल उपकरण और बड़ी मात्रा में संपत्ति से जुड़े दस्तावेज जब्त किए हैं. इसके अलावा, आरोपियों से जुड़े कई बैंक खातों का पता लगाया गया है. जांच के दौरान दो लग्जरी गाड़ियां को भी पीएमएलए के प्रावधानों के तहत जब्त कर लिया गया है.
ईडी को डांस बारों से प्लास्टिक नोट भी मिले हैं, जिनका उपयोग इन अनैतिक गतिविधियों में भुगतान के लिए किया जा रहा था. एजेंसी ने कहा है कि मामले में आगे की जांच जारी है और मानव तस्करी तथा मनी लॉन्ड्रिंग के इस नेटवर्क से जुड़े अन्य पहलुओं का भी पता लगाया जा रहा है.
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पीएसके