नई दिल्ली, 1 मई . आज एक मई है और आज ही के दिन गुजरात दिवस भी है. गुजरात में आज ही के दिन साल 2012 में एक ऐसा उदाहरण पेश हुआ था, जिसने तकनीकी प्रगति और राष्ट्रीय एकता की दिशा में एक नई मिसाल कायम की. तब गुजरात के मुख्यमंत्री रहे नरेंद्र मोदी ने आधार योजना में पंजीकरण करवा कर न सिर्फ एक नई शुरुआत की, बल्कि पूरे देश को यह संदेश दिया कि राजनीतिक विचारधाराओं से ऊपर उठकर देश हित सर्वोपरि होता है.
यूआईडीएआई के पूर्व सीईओ अजय भूषण पांडेय ने कहा कि यह वो समय था, जब आधार योजना को विपक्षी नजरों से देखा जा रहा था. यह एक गैर-भाजपा सरकार की पहल थी और इस पर संशय के बादल मंडरा रहे थे, लेकिन पीएम मोदी (तब गुजरात के सीएम) ने “राष्ट्र पहले” की भावना के साथ आगे बढ़ते हुए गुजरात में आयोजित एक सार्वजनिक कार्यक्रम में स्वयं को आधार के लिए नामांकित किया.
यूआईडीएआई के पूर्व सीईओ अजय भूषण पांडेय के अनुसार, पीएम मोदी के इस कदम ने देश भर में एक भरोसा जगाया और लोगों को प्रोत्साहित किया कि वे भी इस परिवर्तन का हिस्सा बनें.
उन्होंने कहा कि आज जब हम डिजिटल भारत की बात करते हैं, तो उस एक निर्णायक क्षण को याद करना जरूरी है जब एक नेता ने राजनीति से ऊपर उठकर तकनीक को अपनाया और एक उदाहरण प्रस्तुत किया. यह सिर्फ एक आधार पंजीकरण नहीं था, बल्कि यह राष्ट्र निर्माण की दिशा में उठाया गया एक निर्णायक कदम था, जिसका सकारात्मक प्रभाव पड़ा और लोग आधार नामांकन कराने के लिए आगे आए.
उल्लेखनीय है कि देश में पहला आधार कार्ड 28 जनवरी 2009 को जारी किया गया था. यह कार्ड आधार प्रोजेक्ट के तहत पहली बार एक मराठी महिला, रंजना सोनवने, को सौंपा गया था. रंजना सोनवने उत्तर महाराष्ट्र के टेंभ्ला गांव की निवासी हैं.
मार्च 2016 में सरकार ने सदन में “आधार (वित्तीय और अन्य सब्सिडी, लाभ और सेवाओं का लक्षित वितरण)” नामक विधेयक पेश किया. यह विधेयक संसद से पारित हुआ और राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के बाद कानून बन गया. 2017 की शुरुआत में विभिन्न मंत्रालयों ने कल्याणकारी योजनाओं, पेंशन और रोजगार कार्यक्रमों के लिए आधार को अनिवार्य कर दिया. इसके अलावा, आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए भी आधार को आवश्यक बना दिया गया.
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