शहीद दिवस: भारत की स्वतंत्रता संग्राम में शहीदों का अमूल्य योगदान, जानें इस दिन का इतिहास

नई दिल्ली, 23 मार्च . भारत में 23 मार्च को शहीद दिवस मनाया जाता है, इस दिन देश भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की शहादत को याद करता है. 23 मार्च 1931 को मां भारती के इन तीन सपूतों को ब्रिटिश सरकार ने फांसी पर चढ़ाया था.

ये तीनों महात्मा गांधी के नेतृत्व वाले अहिंसक आंदोलन से अलग होकर क्रांतिकारी रास्ते पर चल पड़े थे. इन तीनों ने अपने जीवन को स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में समर्पित कर दिया था. उनका मकसद केवल भारतीयों को स्वतंत्रता दिलाना था और इसके लिए उन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ हथियार उठाए थे.

भगत सिंह, जिनका जन्म 1907 में हुआ था, ने अपने साथियों के साथ मिलकर ब्रिटिश शासन के खिलाफ कई क्रांतिकारी कदम उठाए. सबसे प्रसिद्ध लाहौर षड्यंत्र कांड था, जिसमें उन्होंने ब्रिटिश अधिकारी सांडर्स को मारने की कोशिश की थी. इसके बाद, उन्होंने अंग्रेजी सरकार के खिलाफ बम फेंका था, ताकि भारतीयों में स्वतंत्रता संग्राम के प्रति जागरूकता बढ़ाई जा सके. इसके कारण उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और 23 मार्च 1931 को फांसी दी गई.

राजगुरु और सुखदेव भी भगत सिंह के साथ इस संघर्ष में पूरी तरह से समर्पित थे. राजगुरु ने शहीद भगत सिंह के साथ मिलकर कई आंदोलन किए और सुखदेव ने भारतीय युवाओं को स्वतंत्रता संग्राम के लिए प्रेरित किया. इन तीनों के योगदान को भारतीय इतिहास में हमेशा याद किया जाएगा.

भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव ने भारतीय स्वतंत्रता के लिए अपने जीवन का सर्वोत्तम बलिदान दिया. भगत सिंह ने न केवल क्रांतिकारी गतिविधियों में भाग लिया, बल्कि उनके द्वारा उठाए गए कदमों ने स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा दी. उनका यह विश्वास था कि केवल अहिंसा से भारत को स्वतंत्रता नहीं मिल सकती, बल्कि संघर्ष और क्रांति के माध्यम से ही यह संभव है.

राजगुरु और सुखदेव भी भगत सिंह के साथ इस क्रांतिकारी कार्य में शामिल थे. इनका उद्देश्य केवल ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ आक्रोश व्यक्त करना नहीं था, बल्कि भारतीय जनता को स्वतंत्रता के लिए जागरूक करना भी था. इन तीनों ने अपने जीवन को इस उद्देश्य के लिए समर्पित कर दिया था.

अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष करने वाले इन क्रांतिकारियों ने अपने बलिदान से यह सिद्ध कर दिया कि भारतीयों में स्वतंत्रता के लिए अपार जुनून था. भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव जैसे वीरों ने केवल अपने देश को स्वतंत्रता दिलाने की दिशा में योगदान नहीं दिया, बल्कि उन्होंने पूरे राष्ट्र को एकजुट किया और अंग्रेजी साम्राज्य के खिलाफ जन जागरण किया.

डीएससी/केआर