नई दिल्ली, 31 मार्च . ‘या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता. नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नम:.’ ये उस देवी का महामंत्र है जिन्हें मां चंद्रघंटा कहते हैं. मां का रूप अत्यंत शांत, सौम्य और ममता से परिपूर्ण है, जो अपने भक्तों को सुख-समृद्धि और शांति प्रदान करता है. इनके दस बाहु हैं और इन्हें सुगंध प्रिय है. अब सवाल यही है कि मां की आराधना तृतीया तिथि पर ही क्यों की जाती है?
देवी भागवत पुराण के अनुसार, मां दुर्गा ने चंद्रघंटा का अवतार तब लिया जब संसार में दैत्यों का अत्याचार बढ़ने लगा. उस समय महिषासुर का भयंकर युद्ध भी देवताओं से चल रहा था. महिषासुर देवराज इंद्र का सिंहासन हासिल करना चाहता था और स्वर्ग लोक का राजा बनना चाहता था. देवता जब महिषासुर से युद्ध करने में असमर्थ रहे, तब परेशान होकर भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश की प्रार्थना की.
देवताओं की बात सुन त्रिदेव महिषासुर पर क्रोधित हुए. फलस्वरूप उनके मुख से ऊर्जा निकली, जिससे एक शक्ति का जन्म हुआ और यही चंद्रघंटा मां कहलाईं. भगवान शंकर ने शक्ति स्वरूपा को अपना त्रिशूल, भगवान विष्णु ने चक्र, इंद्र ने अपना घंटा, सूर्य ने तेज, तलवार और सिंह दिया.
जगत के कल्याणार्थ शक्ति संपन्न मां चंद्रघंटा ने महिषासुर का वध करके देवताओं की रक्षा की. तभी से मां दुर्गा के इस रूप को तृतीय स्वरूप में पूजा जाता है. चूंकि त्रिदेव की महिमा से मां का अविर्भाव हुआ, इसलिए नवरात्र में तृतीय दिवस पर इनका पूजन होता है.
चैत्र नवरात्र 2025 में द्वितिया और तृतीया तिथि एक ही दिन पड़ी है. 31 मार्च को द्वितीया तिथि सुबह 9 बजकर 11 मिनट तक रही. विधि अनुसार द्वितिया को मां ब्रह्मचारिणी को पूजा जाता है. इसके बाद तृतीया प्रारंभ हुई. ये तिथि 1 अप्रैल की सुबह 5 बजकर 42 मिनट पर समाप्त होगी और इस तिथि में मां चंद्रघटा को पूजा जाता है. मां चंद्रघंटा की पूजा करने से व्यक्ति को सुख और समृद्धि का आशीष मिलता है. नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा का व्रत रखने से व्यक्ति का आत्मविश्वास भी बढ़ता है. कहा जाता है कि मां चंद्रघंटा की पूजा में लाल और पीले फूलों का प्रयोग विशेष रूप से किया जाता है.
मां चंद्रघंटा की पूजा में खीर का भोग अर्पित किया जाना उत्तम माना जाता है. इसके अतिरिक्त, लौंग, इलायची, पंचमेवा और दूध से बनी मिठाइयां भी भोग स्वरूप अर्पित की जा सकती हैं. मिसरी का भोग भी मां को अति प्रिय है.
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केआर/