New Delhi, 21 सितंबर . नवरात्रि सिर्फ एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि आध्यात्मिक जागृति, आत्मशुद्धि और शक्ति जागरण का उत्सव है. इन 9 दिनों में मां दुर्गा के 9 अलग-अलग रूपों की पूजा होती है—हर दिन एक विशेष देवी और एक गहरा जीवन-संदेश लेकर आता है. मार्कण्डेय पुराण, दुर्गा सप्तशती और देवी भागवत पुराण में इन रूपों की महिमा का बखान है.
पहला दिन मां शैलपुत्री को समर्पित है और ये आत्मबल के साथ ही स्थिरता का प्रतीक हैं. घोड़े पर सवार पर्वतराज हिमालय की पुत्री के हाथ में त्रिशूल और कमल विद्यमान है. प्रतिपदा यानी नवरात्र का पहला दिन और किसी भी यात्रा की शुरुआत आत्मबल यानी खुद पर विश्वास के साथ होती है. नौ दिन का ये पर्व भी तो यात्रा ही है.
दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी का है, जो संयम और साधना की शक्ति मानी जाती हैं. हाथ में जप माला और कमंडल, तपस्विनी स्वरूप मां की आराधना का सहज संदेश धैर्य और अनुशासन है, ऐसे गुण जिनसे जीवन में धीरज का संचार होता है.
तीसरा दिन भय हारिणी योद्धा मां चंद्रघंटा का है, जिनके मस्तक पर अर्धचंद्र है और जो दस भुजाओं से संपन्न हैं. शक्ति, साहस, सुरक्षा और आत्मरक्षा है. संदेश सिर्फ एक है कि जीवन डर से नहीं हिम्मत से जिया जाता है.
चौथा दिन, सृजन की देवी के नाम से विख्यात मां कूष्मांडा का है. ‘कू’ का मतलब होता है छोटा, ‘ऊष्मा’ का मतलब है ऊर्जा, और “अंडा” का मतलब है ब्रह्मांड. यह वह अवतार है जिसमें मां ने इस दुनिया को रचा है. ये स्वरूप एक नए जीवन की रचना करने वाला है. मां कूष्मांडा के हाथों में एक मटका है, जिसे सृजन का प्रतीक माना जाता है. मटके को अक्सर गर्भ के रूप में देखा जाता है, जिसमें एक नया जीवन पलता है. इस अवतार से हमें सबक मिलता है कि जीवन में नए सृजन के लिए हमें अपनी ऊर्जा को सही दिशा में लगाना चाहिए.
पांचवां दिन मां स्कंदमाता का है. भगवान कार्तिकेय की माता, गोद में बाल रूप स्कंद लिए हुए देवी मातृत्व और करुणा का प्रतीक हैं. इनकी आराधना से सिर्फ एक संदेश मिलता है कि प्यार, ममता और सेवा किसी भी मनुष्य की बड़ी शक्तियां हैं.
छठा दिन न्याय की देवी मां कात्यायनी को समर्पित है. सिंह पर सवार, चार भुजा और युद्ध मुद्रा इस अवतार की पहचान है. साहस,न्याय और शक्ति का प्रतीक मां अन्याय के खिलाफ बेखौफ डटे रहने की सीख देती हैं.
सातवां दिवस मां कालरात्रि का है. जो अंधकार में प्रकाशोन्मुख होने के लिए प्रेरित करती हैं. खुले बाल, अंधेरे के समान काले रंग और विकराल मुखी काली शुभकारी हैं. मां अज्ञान, डर और बुराई का विनाश करने वाली मानी जाती हैं.
आठवां दिन, मां महागौरी शांति और सौंदर्य की मूरत हैं. अत्यंत दौर वर्ण, सफेद वस्त्र और बैल पर सवार हैं. ये शुद्धता, करुणा और आत्मशांति की प्रतीक हैं.
नौवां दिवस मां सिद्धिदात्री को समर्पित है, जिनकी चार भुजाएं हैं. कमल पर विराजमान रहने वाली देवी सभी सिद्धियों की दात्री हैं. संदेश देती हैं कि जब समर्पण पूर्ण हो तो सफलता अपने आप आती है.
ये 9 दिन हमें बताते हैं कि हर इंसान के अंदर शक्ति है, बस उसे जगाने की जरूरत है. हर देवी का रूप, रंग और संदेश हमारे जीवन के किसी न किसी पहलू से जुड़ा है – आत्मबल, प्रेम, साहस, सेवा, न्याय और शांति.
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केआर/