भुवनेश्वर, 24 फरवरी . ओडिशा के केआईआईटी विश्वविद्यालय में नेपाली छात्र की संदिग्ध मौत के मामले में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की तरफ से न्यायिक जांच की मांग की गई है. पार्टी ने इसे एक संगठित हत्या बताते हुए पुलिस आयुक्त को ज्ञापन सौंपा और तत्काल कार्रवाई की मांग की है.
सीपीआई(एम) ओडिशा राज्य समिति के सचिव सुभाष चंद्र पाणिग्राही ने न्यूज एजेंसी से बात करते हुए कहा कि केआईआईटी विश्वविद्यालय में नेपाली छात्र की दुखद और संदिग्ध मौत कोई दुर्घटना नहीं बल्कि एक संगठित अपराध है. न्याय दिलाने के बजाय, केआईआईटी प्रशासन ने दमनात्मक तरीके अपनाए, नेपाली छात्रों को जबरन निकाला, केवल उनके लिए ‘साइन डाई’ की अवधि लागू की और नेपाल की अर्थव्यवस्था के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी की. यह सभी मानवाधिकारों का उल्लंघन है.
उन्होंने आगे कहा कि सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि छात्र के हमले के आरोपी के खिलाफ बहुत ही हल्की धाराएं लगाई गईं, जिससे उन्हें उसी दिन जमानत मिल गई. इससे पुलिस की संलिप्तता भी मामले में नजर आती है.
सीपीआई(एम) के वरिष्ठ नेता जनार्दन पाटी ने कहा कि यह कोई दुर्घटना नहीं, बल्कि एक सुनियोजित अपराध है और केआईआईटी प्रशासन की कार्रवाई इस मामले को छुपाने की ओर इशारा करती है. विश्वविद्यालय ने न्याय सुनिश्चित करने के बजाय, नेपाली छात्रों को जबरन बाहर निकाला और नेपाल की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक टिप्पणी की. यह मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन है.
उन्होंने आरोप लगाया कि आरोपी के खिलाफ कमजोर धाराएं लगाकर उसे उसी दिन जमानत दी गई, जिससे पुलिस के इस मामले को लेकर गंभीरता पर सवाल उठते हैं. सीपीआई(एम) ने भारतीय जनता पार्टी और बीजू जनता दल पर केआईआईटी को बचाने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि शिक्षा के अंधाधुंध व्यवसायीकरण और राजनीतिक पक्षपातीकरण से ओडिशा की शैक्षिक प्रतिष्ठा पर गंभीर संकट आ सकता है.
सीपीआई(एम) ने मांग की कि मामले की निष्पक्ष जांच के लिए एक न्यायिक जांच कमेटी गठित की जाए ताकि मामले का सही खुलासा हो सके और दोषियों को सजा मिल सके.
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पीएसके/जीकेटी