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तिरुवनंतपुरम, 25 नवंबर . भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के चेयरमैन डॉ. वी. नारायणन ने अनंत टेक्नोलॉजीज द्वारा स्थापित नेविगेशन सेंटर ऑफ एक्सीलेंस का उद्घाटन किया. समारोह के दौरान उन्होंने संबोधन में कहा कि आज का दिन उनके लिए बेहद खास है और यहां आकर उन्हें ऐसा महसूस हुआ कि जैसे वे अपने ही इसरो परिवार के बीच हों.
उन्होंने कहा, “आज सुबह सोच रहा था कि मैं लगभग 30 प्रतिशत समय देशभर में यात्रा करने में बिताता हूं, बजाय इसरो ऑफिस में रहने के. इसके कारण मन में थोड़ी असहजता थी. यहां आने के बाद वह असहजता पूरी तरह खत्म हो गई, क्योंकि लगा जैसे मैं अपने परिवार के बीच हूं.”
नारायणन ने नेविगेशन, गाइडेंस और कंट्रोल सिस्टम को अत्यधिक उन्नत और तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण क्षेत्र बताया. उन्होंने कहा कि इस तकनीक में मौजूद विशेषज्ञों की तुलना में उनका ज्ञान 10 प्रतिशत से भी कम है.
उन्होंने याद किया कि 1993 में रूस यात्रा के दौरान उन्होंने पहली बार लेजर जाइरोस्कोप का नाम सुना था.
उन्होंने कहा, “हमें लेजर जाइरोस्कोप की ड्रॉइंग्स और तकनीक India लानी थी. बहुत मुश्किल परिस्थितियों में कोई व्यक्ति उसे हमारे कमरे में लाया और तब हमने पहली बार उसे देखा.”
उन्होंने गर्व से कहा कि आज वही तकनीक India में, वह भी किसी Governmentी संस्थान में नहीं, बल्कि एक निजी संगठन में विकसित हो चुकी है. इसे उन्होंने देश के तकनीकी बदलाव की बड़ी उपलब्धि बताया.
इसरो प्रमुख ने कहा कि यदि देश को ‘विकसित भारत’ बनना है, तो खासकर रणनीतिक क्षेत्रों में इंपोर्ट पर निर्भरता लगभग खत्म करनी होगी.
उन्होंने कहा कि नेविगेशन सिस्टम, विमान, अंतरिक्ष यान या लॉन्च व्हीकल, सभी में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
नारायणन ने कहा, “थिबावली रॉकेट 25-30 प्रतिशत समय काम नहीं करता और जब काम करता है तो जहां चाहे वहां चला जाता है. लेकिन, हमारे लॉन्च व्हीकल को वहीं जाना होता है जहां हम तय करें और यही लक्ष्य पूरा करने के लिए हम सब काम करते हैं.”
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वीकेयू/एबीएम