केरल हाईकोर्ट ने ट्रांसजेंडर को एनसीसी कैडेट के रूप में नामांकन की दी अनुमति

कोच्चि, 4 मार्च . केरल उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने एक ट्रांसजेंडर को राष्ट्रीय कैडेट कोर में महिला कैडेट के रूप में नामांकन की अनुमति देने के एकल-न्यायाधीश के फैसले को बरकरार रखा, लेकिन इसने एकल-न्यायाधीश के ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को नामांकन की अनुमति देने के लिए एनसीसी अधिनियम में संशोधन के लिए केंद्र को निर्देश देनेे के आदेश को रद्द कर दिया.

खंडपीठ ने कहा, “जब याचिकाकर्ता को एक महिला की पहचान दी गई है, तो वह निश्चित रूप से (एनसीसी) अधिनियम की धारा 6 (2) के तहत एनसीसी में नामांकित होने की हकदार है.”

लेकिन खंडपीठ ने कहा कि अदालत सरकार को कानून में संशोधन का निर्देश नहीं दे सकती. लेकिन उम्मीद जताई कि केंद्र एनसीसी में ट्रांसजेंडर उम्मीदवारों के प्रवेश की अनुमति के लिए एनसीसी अधिनियम में संशोधन करेगा.

खंडपीठ के आदेश में कहा गया है, “हमें आशा और विश्वास है कि केंद्र सरकार एनएएलएसए में शीर्ष न्यायालय के आदेश और ट्रांसजेंडर अधिनियम के प्रावधानों के आलोक में आगे बढ़ेेेगी और धारा 6 के दायरे में तीसरे लिंग को भी शामिल करने के लिए जल्द कदम उठाएगी.”

खंडपीठ एक ट्रांसवुमन हिना हनीफा के मामले में सुनवाई कर रही थी, जिसने लिंग निर्धारण व अपना पहचान पत्र प्राप्त करने के बाद एनसीसी में नामांकन के लिए आवेदन किया था.

लेकिन उसे राष्ट्रीय कैडेट कोर अधिनियम, 1948 की धारा 6 के कारण नामांकन से वंचित कर दिया गया था, जो केवल ‘पुरुषों’ या ‘महिलाओं’ को एनसीसी के साथ कैडेट के रूप में नामांकन की अनुमति देता है.

इसके बाद हनीफा ने एनसीसी अधिनियम की धारा 6 को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया.

मार्च 2021 में, एकल-न्यायाधीश ने हनीफा की याचिका को यह निर्देश देते हुए स्वीकार कर लिया कि उसे चयन प्रक्रिया में भाग लेने की अनुमति दी जाए.

इसके अलावा, एकल न्यायाधीश ने केंद्र को एनसीसी अधिनियम की धारा 6 के तहत अपने नामांकन मानदंडों में संशोधन करने और ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के प्रवेश को सक्षम बनाने का निर्देश दिया.

लेकिन केंद्र सरकार और एनसीसी ने अदालत में कहा कि हनीफा को एनसीसी में भर्ती नहीं किया जा सकता क्योंकि वह तीसरे लिंग की श्रेणी में आती है.

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