तिरुवनंतपुरम, 22 फरवरी . केरल में आशा कार्यकर्ता पिछले 13 दिनों से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं. वे अपनी वेतन और सुविधाओं में सुधार की मांग कर रहे हैं. शनिवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और विधायक रमेश चेन्निथला ने राज्य सचिवालय के सामने धरना स्थल का दौरा किया और उनके समर्थन में अपनी एकजुटता दिखाई.
चेन्निथला ने मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन से अपील की कि वे हस्तक्षेप करें और हड़ताल को खत्म कराएं.
चेन्निथला ने प्रदर्शनकारियों से मिलने के बाद कहा, “अगर मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन हस्तक्षेप करें, तो यह विरोध सिर्फ 30 मिनट में हल हो सकता है. सरकार की जिम्मेदारी है कि वह इस असली समस्या का समाधान निकाले, क्योंकि आशा कार्यकर्ता संकट के समय में राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ रही हैं, चाहे वह कोविड-19 महामारी हो या विनाशकारी बाढ़.”
पूर्व राज्य मंत्री सी. दिवाकरन ने भी कहा कि इन असहाय आशा कार्यकर्ताओं की मांगें सही हैं और अगर मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन चाहें, तो वह पांच मिनट में इसका समाधान कर सकते हैं.
केरल भर से लगभग 26,000 आशा कार्यकर्ता बेहतर कामकाजी हालात और उचित मुआवजे की मांग को लेकर लगातार विरोध प्रदर्शन कर रही हैं.
गुरुवार को एसोसिएशन ने विरोध प्रदर्शन को अनिश्चितकालीन हड़ताल में बदल दिया और अपनी मांगें पूरी होने तक काम पर न लौटने की कसम खा ली.
प्रदर्शन स्थल पर मौजूद आशा कार्यकर्ता जीनत ने दुख व्यक्त करते हुए कहा, “हमें हर महीने केवल 7,000 रुपये मिलते हैं. उससे कोई कैसे अपना घर चला सकता है? जब हम रिटायर होते हैं, तो हमें कुछ नहीं मिलता. हम सरकार से बढ़ाए गए मानदेय और एकमुश्त सेवानिवृत्ति लाभ की घोषणा का इंतजार कर रहे हैं.”
प्रदर्शनकारी अपनी मासिक तनख्वाह 7,000 रुपये से बढ़ाकर 21,000 रुपये करने की मांग कर रहे हैं.
उनका रोष और बढ़ गया है, क्योंकि सरकार कथित तौर पर हड़ताल में भाग लेने पर “गंभीर परिणाम” भुगतने की चेतावनी देकर प्रदर्शनकारियों को डराने की कोशिश कर रही है.
हाल ही में सरकार द्वारा किए गए कुछ फैसलों ने उनकी निराशा और बढ़ा दी है, जिनमें केरल लोक सेवा आयोग के सदस्यों के वेतन में बड़ी बढ़ोतरी और दिल्ली में केरल के प्रतिनिधि के.वी. थॉमस के यात्रा भत्ते में बढ़ोतरी शामिल है.
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एसएचके/केआर