नई दिल्ली, 9 अप्रैल . दिल्ली हाईकोर्ट से मंगलवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को झटका लगा है. कोर्ट ने सीएम अरविंद केजरीवाल की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने ईडी द्वारा उनकी गिरफ्तारी और हिरासत में भेजने के ट्रायल कोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी.
न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने ईडी की इस दलील पर गौर किया कि सीएम केजरीवाल को गिरफ्तार करने के लिए पर्याप्त सबूत थे.
कोर्ट ने कहा, “हमारे सामने रखी गई फाइलें और सबूत से पता चलता है कि ईडी ने कानून का पालन किया है. ट्रायल कोर्ट का आदेश दो लाइन का आदेश नहीं है. ईडी के पास हवाला डीलरों के साथ-साथ गोवा चुनाव में आप उम्मीदवारों के बयान भी हैं.”
पिछले हफ्ते ईडी ने सीएम केजरीवाल की याचिका पर अपना जवाबी हलफनामा दाखिल किया था.
उनके वकील रमेश गुप्ता ने राउज एवेन्यू कोर्ट की जज कावेरी बावेजा से कहा था कि सीएम केजरीवाल की हिरासत/रिमांड आगे बढ़ाए जाने पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है. इसी को लेकर ईडी ने काउंटर हलफनामा दिया था, जिसमें कहा कि याचिकाकर्ता केजरीवाल ने हिरासत पर सवाल उठाने का अधिकार खो दिया है. याचिकाकर्ता को अब यह तर्क देने की इजाजत नहीं दी जा सकती कि उनकी हिरासत अवैध है.
ईडी ने कहा था, “22 मार्च का रिमांड आदेश और चुनौती के तहत 28 मार्च और 1 अप्रैल के बाद के रिमांड आदेश सही आदेश हैं, इसलिए किसी हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है.”
एजेंसी ने कहा था, “उसने सीएम केजरीवाल की गिरफ्तारी और रिमांड के दौरान पीएमएलए की धारा 19(1) और (2) के साथ-साथ भारत के संविधान के अनुच्छेद 22(1) और (2) का अनुपालन किया.”
एजेंसी ने दावा किया है कि आप नेता दिल्ली सरकार के मंत्रियों, आप नेताओं और अन्य व्यक्तियों की मिलीभगत से दिल्ली शराब घोटाले का सरगना और मुख्य साजिशकर्ता थे. उसके पास ऐसे सबूत हैं जो दर्शाते हैं कि वह मनी लॉन्ड्रिंग के भी दोषी हैं.
ईडी ने यह भी आरोप लगाया था कि सीएम केजरीवाल सीधे तौर पर उत्पाद शुल्क नीति 2021-22 के निर्माण में शामिल थे, जिसे साउथ ग्रुप को दिए जाने वाले लाभ को ध्यान में रखते हुए मसौदा तैयार किया गया. उन्होंने उत्पाद शुल्क नीति 2021-22 के निर्माण एवं क्रियान्वयन (लागू करने) में उन्हें दिए गए लाभ के बदले में साउथ ग्रुप से रिश्वत की मांग की.
केजरीवाल को ईडी ने 21 मार्च को गिरफ्तार किया था. वर्तमान में वह 15 अप्रैल तक न्यायिक हिरासत में हैं.
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