नई दिल्ली, 22 मई . दिल्ली ने मई में ही बिजली खपत के मामले में अपने 15 साल के रिकॉर्ड को तोड़ दिया है. दूसरी तरफ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का कहना है कि बुधवार की दोपहर 3.42 बजे दिल्ली में पीक पावर डिमांड 8,000 मेगावाट पहुंच गई. जिसे दिल्ली सरकार ने बिना पावर कट लगाए पूरा किया.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “आज दोपहर 3:42 पर दिल्ली में पीक पावर डिमांड 8000 मेगावाट पहुंच गई. दिल्ली सरकार ने बिना पावर कट लगाए इस पीक डिमांड को पूरा किया है. ये दिल्ली के लोगों की बहुत बड़ी उपलब्धि है. 2014 तक गर्मियों में 5925 मेगावाट पीक डिमांड पर भी लंबे-लंबे पावर कट हुआ करते थे. दूसरी तरफ यूपी, हरियाणा, राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे भाजपा शासित राज्य हैं, जहां पिछले 2-3 दिनों में 10-12 घंटों के पावर कट हुए हैं. यही कारण है कि भाजपा वाले आम आदमी पार्टी को खत्म करना चाहते हैं. हमारा काम इनकी नाकामी का सच पूरे देश को दिखा देता है.”
दूसरी तरफ दिल्ली के बिजली मंत्री आतिशी ने कहा कि अक्सर जुलाई-अगस्त में उमस भरी गर्मी के चलते बिजली की खपत बढ़ जाती है, लेकिन इस बार मई में ही काफी मांग बढ़ गई है. ऐसे में अनुमान है कि जुलाई-अगस्त में बिजली की मांग 8,000 मेगावाट तक पहुंच सकती है. पिछले कुछ दिनों से तापमान लगातार 45 डिग्री से ऊपर रहा है. मंगलवार को दिल्ली के कुछ हिस्सों में तापमान 48 डिग्री तक पहुंच गया. बढ़ती गर्मी की वजह से बिजली की मांग 15 साल में पहली बार अपनी पीक पर मई में ही पहुंच गई. दिल्ली में अक्सर जुलाई-अगस्त के महीने में बिजली की पीक डिमांड आती है. लेकिन, 21 मई को दिल्ली अपने ऐतिहासिक डिमांड पर पहुंचा. 21 मई को दिल्ली में बिजली की पीक मांग 7717 मेगावाट रही है. यह दिल्ली के इतिहास में अब तक की सबसे अधिक बिजली की मांग है.
उन्होंने बताया कि इस भीषण गर्मी में इतनी पीक डिमांड के बावजूद दिल्ली में केजरीवाल सरकार 24 घंटे बिजली दे रही है. दिल्ली में कहीं पर भी लोड शेडिंग या ब्लैक आउट नहीं है. जिस तरह पिछले 9 साल से दिल्ली में बिजली आपूर्ति चली आ रही है, वैसे ही इतनी भीषण गर्मी में भी बिजली की आपूर्ति की जा रही है. इसके लिए मैं दिल्ली सरकार के विद्युत विभाग, तीनों पावर कंपनियों को बधाई देना चाहूंगी कि उनके शानदार प्रबंधन की वजह से दिल्ली वालों को बिजली की कोई समस्या नहीं हो रही है. दिल्ली ने 2014 के हीट वेव को भी देखा था. 2014 में बिजली की पीक डिमांड 5,925 मेगावाट तक गई थी. लेकिन, इतनी ही विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित कराने में दिल्ली में बहुत लंबे-लंबे ब्लैक आउट हुए थे. छह से आठ घंटे तक बिजली की कटौती हुई थी.
आतिशी ने कहा कि दिल्ली के पड़ोसी राज्यों में भाजपा की सरकार है. वहां पर पिछले दो दिन में लंबे-लंबे पावर कट हुए हैं. उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा के कई सोसाइटी में 21 और 22 मई को 4 घंटे से ज्यादा पावर कट हुए. 21 और 22 मई को नोएडा के करीब 25 सेक्टरों में 8 घंटे से ज्यादा पावर कट हुए. इसी तरह, गाजियाबाद के कई हिस्सों में 6-6 घंटे के लंबे पावर कट हुए हैं. लोनी में 14 घंटे की पावर कट हुई है. इसी तरह, हरियाणा में भी भाजपा की सरकार है. गुरुग्राम में पिछले तीन दिन में लगातार दिन में 10 बार से ज्यादा पावर कट हुए हैं. कुछ सोसाइटी में तो सुबह से रात तक 13 बार पावर कट हुए. इसी तरह, मध्य प्रदेश के भोपाल, उज्जैन, राजस्थान समेत जिन राज्यों में भी भाजपा की सरकार है, वहां पर इस हीट वेव में लंबे पावर कट देखने को मिले हैं.
आतिशी ने जिक्र किया कि जुलाई और अगस्त में उमस भरी गर्मी के चलते एसी का इस्तेमाल बढ़ जाता है. इससे करीब 25 फीसद बिजली की मांग बढ़ जाती है. अगर हम उस गणना के हिसाब से जाएं तो जुलाई-अगस्त में बिजली का पीक पावर लोड 8,000 मेगावाट तक जा सकता है. दिल्ली सरकार और तीनों बिजली कंपनियां 8,000 मेगावाट बिजली की आपूर्ति के लिए भी तैयार है.
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पीकेटी/एबीएम