बिहार में सभी राजनीतिक दलों की ‘शक्ति’ पर नजर

पटना, 21 मार्च . बिहार में पिछले चुनावों के रिकॉर्ड को देखते हुए सभी राजनीतिक दलों की नजर ‘शक्ति’ यानी महिला मतदाताओं पर है. राजनीतिक दलों का मानना है कि अगर महिला मतदाता उनके पक्ष में आ जाएं तो फायदा तय है.

बताया जाता है कि पिछले कुछ चुनावों के दौरान अपने मताधिकार का प्रयोग करने में पुरुष की तुलना में महिला मतदाता ज्यादा सक्रिय रही हैं. इसमें कोई शक नहीं कि इसका सबसे बड़ा कारण पलायन भी है.

उत्तर बिहार के अधिकांश गांवों के पुरुष बड़ी संख्या में अन्य प्रदेशों में रोजगार की तलाश में चले जाते हैं. इस कारण ऐसे गांवों में पुरुष मतदाता से अधिक महिला मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करती हैं.

निर्वाचन विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो पिछले लोकसभा चुनाव में 40 में से 32 संसदीय क्षेत्रों में पुरुष मतदाताओं की तुलना में महिला मतदाताओं ने अधिक मतदान किए. दूसरी ओर 2014 के चुनाव में 26 ऐसी सीटें थीं, जहां महिलाओं का वोट प्रतिशत पुरुषों से अधिक रहा था.

इस चुनाव में प्रदेश में कुल मतदाताओं की संख्या 7.64 करोड़ है. इनमें 4 करोड़ पुरुष, 3.64 करोड़ महिलाएं और 2,290 थर्ड जेंडर हैं. ऐसी स्थिति में सभी राजनीतिक दलों की नजर महिला मतदाताओं पर टिकी है.

जानकार बताते हैं कि पिछले लोकसभा चुनाव में एनडीए की 39 सीटों पर जीत दर्ज करने का बड़ा कारण महिला मतदाता भी थे. ऐसे में एनडीए के नेताओं को फिर से महिला मतदाताओं से आशा है.

बिहार भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष संतोष पाठक ने कहा कि आधी आबादी के जीवनस्तर को बेहतर बनाने के लिए मोदी सरकार लगातार काम कर रही है. यहां तक कि लोकतंत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए महिलाओं को आरक्षण का बिल भी पास हुआ. ऐसे में तय है कि महिला मतदाता फिर से एनडीए के साथ होंगी.

एमएनपी/एबीएम