वाराणसी, 24 अप्रैल . काश्यां हि काशते काशी सर्वप्रकाशिका…आत्मज्ञान के प्रकाश से काशी जगमगाती है. देश की सप्तपुरियों में से एक काशी के महात्म्य को भला कौन समझ सकता है. संकरी-संकरी गलियों में भगवान के मंदिर हैं, जो बताते हैं कि शिवनगरी के कण-कण में भगवान का वास है. बड़ी से बड़ी विपदा का नाश करने वाले श्री राम के दूत हनुमान जी यहां संकट मोचन के रूप में विराजमान हैं. यहीं पर महावीर ने रामचरित मानस की रचना करने वाले संत तुलसीदास को दर्शन दिए और बताया था कि प्रभु कैसे मिलेंगे. आइए काशी के इस मंदिर में चलते हैं, जहां केसरी के लाल अपने स्वामी के साथ विराजते हैं…
काशी के संकट मोचन मंदिर की गिनती देश के ऐतिहासिक मंदिरों में की जाती है. इस मंदिर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, जेपी नड्डा, अरविंद केजरीवाल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर तमाम राजनीतिक हस्तियां, तो अनुपम खेर समेत फिल्म जगत के सितारे भी यहां मत्था टेक चुके हैं.
शनिदेव के प्रकोप से बचना हो या भगवान से अपनी अरदास लगानी हो, भक्तों की लंबी लाइन इस मंदिर में लगती है. तभी तो वाराणसी के लंका, संकट मोचन की यातायात पुलिस खासा मुस्तैद रहती है.
शिव की नगरी में उनके गुरु श्री राम के दूत हनुमान न हों, यह तो हो ही नहीं सकता. लंका, संकट मोचन में स्थित संकट मोचन मंदिर का इतिहास लगभग 300 साल से भी ज्यादा पुराना है. मंदिर की स्थापना गोस्वामी तुलसीदासजी ने की थी.
काशी के निवासी और नित्य हनुमान जी के दरबार में हाजरी लगाने वाले भक्त प्रभुनाथ त्रिपाठी ने मंदिर के बारे में विस्तार से जानकारी दी. उन्होंने बताया, “मान्यता है कि जब तुलसीदास जी काशी में रहकर रामचरितमानस की रचना कर रहे थे, तब उनकी इच्छा श्रीराम के दर्शन की थी. इसी जगह पर हनुमानजी ने तुलसीदासजी को दर्शन दिए थे और उनकी प्रार्थना पर यहीं स्थापित हो गए थे. मान्यता है कि यहां आने वाले भक्तों के सभी कष्ट भगवान के दर्शन मात्र से दूर हो जाते हैं.“
उन्होंने बताया, “धार्मिक मान्यता है कि तुलसीदास स्नान-दान के बाद गंगा के उस पार रामनगर जाते थे, जहां बबूल का एक सूखा पेड़ था. ऐसे में वह लोटे में बचे हुए पानी को सूखे पेड़ में डाल देते थे. धीरे-धीरे वह पेड़ हरा होने लगा. एक दिन पानी डालते समय तुलसीदास को पेड़ पर प्रेत मिला, जो कि उसी पर रहता था. तुलसीदास से प्रसन्न प्रेत ने तुलसीदास से कहा, ‘आपकी इच्छा क्या है?’ तो उन्होंने कहा कि मुझे श्री राम से मिलना है. इस पर प्रेत ने कहा कि मैं आपको हनुमान जी से मिलवा सकता हूं और वो आपकी आगे मदद करेंगे.“
कहते हैं कि प्रेत ने तुलसीदास को हनुमान जी तक जाने का मार्ग बताया था, जिससे उन्हें दर्शन हुआ. मान्यता है कि इसी जगह पर हनुमान जी ने तुलसीदास को सबसे पहले दर्शन दिया था. इसके साथ ही तुलसीदास की भक्ति से प्रसन्न होकर हनुमान जी ने तुलसीदास को बताया कि स्वामी के दर्शन कैसे होंगे. हनुमान जी ने बताया कि राम का स्मरण करो और जाप करते रहो, फिर प्रभु के दर्शन होंगे. मान्यता है कि इसके बाद तुलसीदास को श्री राम के भी दर्शन हुए थे.
संकट मोचन मंदिर के चारों ओर एक छोटा सा वन है, जहां बंदर बड़ी संख्या में रहते हैं. मंदिर में संकट मोचन की दिव्य प्रतिमा है. साल भर मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ लगती है. शनिवार और मंगलवार को विशेष भीड़ रहती है.
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एमटी/