नई दिल्ली,15 जनवरी . काशी तमिल संगमम 15 से 24 फरवरी 2025 तक आयोजित किया जा रहा है. यह अब तक का तीसरा ‘काशी तमिल संगमम’ है. केंद्र सरकार का मानना है कि इससे तमिलनाडु और वाराणसी के ऐतिहासिक संबंध मजबूत होंगे, युवाओं को इनका महत्व पता चलेगा और देश ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की ओर बढ़ेगा.
तमिलनाडु में जहां आईआईटी मद्रास ने इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम की तैयारी की है, वहीं वाराणसी में इस आयोजन की मेजबानी बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) करेगा. इस आयोजन में शामिल छात्रों व शिक्षकों को महाकुंभ में ‘अमृत स्नान’ करने का सौभाग्य मिलेगा और अयोध्या में राम मंदिर के दर्शन भी होंगे.
शिक्षाविदों का मानना है कि प्राचीन काल से भारत में शिक्षा और संस्कृति के ये दो महत्वपूर्ण केंद्र रहे हैं और दोनों के बीच अटूट सांस्कृतिक संबंध रहा है. इस संगमम का उद्देश्य इस बारे में युवाओं को जागरूक करना है, ताकि जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में लोगों के बीच परस्पर संपर्क-संवाद बढ़े.
इस बार देश का सर्वोच्च उच्च शिक्षिण संस्थान यानी आईआईटी मद्रास, केंद्र सरकार की इस महत्वपूर्ण पहल में विशेष योगदान देगा. आईआईटी मद्रास ने 15 से 24 फरवरी 2025 तक आयोजित होने वाले काशी तमिल संगमम’ की पूरी तैयारी की है. यह भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय का अहम आयोजन है. केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के मुताबिक़ तमिलनाडु और काशी के बीच ये अटूट बंधन काशी तमिल संगमम 3.0 के माध्यम से जीवंत होने जा रहे हैं.
उन्होंने युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि आइए हम एकता की भावना से भारतीयता के सामूहिक लोकाचार का जश्न मनाएं. हमारे प्राचीन संबंधों को फिर से जीवंत करने के लिए इस असाधारण 10 दिवसीय संगमम का हिस्सा बनें. आयोजन में भाग लेने के लिए संबंधित पोर्टल पर 5 कैटेगरी में आवेदन आमंत्रित किए गए हैं. रजिस्ट्रेशन आम जनता के लिए खुला है.
आईआईटी मद्रास के निदेशक प्रो. वी. कामकोटि ने इस आयोजन में तमिलनाडु की अहम भागीदारी के बारे में जानकारी देते हुए कहा,‘‘तमिलनाडु से कुल 1,000 प्रतिभागी इस आयोजन में भाग लेंगे. वे बराबर संख्या में पांच समूहों में रखे गए हैं. इनमें सभी क्षेत्रों के प्रतिभागी होंगे – विद्यार्थी, शिक्षक, किसान, कारीगर, प्रोफेशनल और छोटे उद्यमी, महिलाएं और शोधकर्ता. इसके अलावा, सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों से प्रतिभागी 200 तमिल छात्रों का एक समूह भी होगा. उन्हें वाराणसी, प्रयागराज और अयोध्या की स्थानीय यात्रा करने का अवसर मिलेगा.’’
इस वर्ष का एक बड़ा संयोग यह है कि यह संगमम 13 जनवरी 2025 से 26 फरवरी 2025 तक आयोजित ऐतिहासिक महाकुंभ के दौरान होगा. इस तरह प्रतिनिधियों को महाकुंभ में ‘अमृत स्नान’ करने का सौभाग्य मिलेगा और अयोध्या में राम मंदिर के दर्शन भी होंगे. काशी तमिल संगमम की मुख्य थीम ऋषि अगस्त्य के महत्वपूर्ण योगदान को उजागर करना है जो उन्होंने सिद्धा चिकित्सा पद्धति (भारतीय चिकित्सा), शास्त्रीय तमिल साहित्य और राष्ट्र की सांस्कृतिक एकता में दिया है.
इस अवसर पर एक विशिष्ट प्रदर्शनी ऋषि अगस्त्य के व्यक्तित्व के विभिन्न पहलुओं के बारे में और स्वास्थ्य, दर्शन, विज्ञान, भाषा विज्ञान, साहित्य, राजनीति, संस्कृति, कला, विशेष रूप से तमिल और तमिलनाडु के लिए उनके योगदान पर आयोजित की जाएगी. इसके अलावा प्रासंगिक विषयों पर सेमिनार और कार्यशाला भी होंगी.
पहले काशी तमिल संगमम का आयोजन 16 नवंबर से 16 दिसंबर 2022 के दौरान किया गया था. एक महीने का यह आयोजन सरकार की खास पहल से किया गया जिसका उद्देश्य वाराणसी और तमिलनाडु के बीच जीवंत संबंधों को पुनर्जीवित करना है. दूसरी बार यह आयोजन 17 दिसंबर से 30 दिसंबर 2023 के दौरान किया गया था.
दोनों में तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश के लोगों का अपार उत्साह देखते हुए तीसरे आयोजन का प्रस्ताव रखा गया. तमिलनाडु के प्रतिभागियों के लिए यह तमिल कवि सुब्रमण्यम भारती के पैतृक घर, केदार घाट, काशी मंडपम और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय का तमिल विभाग देखने का बड़ा अवसर है, जहां शिक्षा और साहित्य विमर्श को लेकर काफी उत्साह है.
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जीसीबी/एएस