चेन्नई, 3 अक्टूबर . मद्रास हाईकोर्ट ने Friday को Political रैलियों के लिए सख्त एसओपी का सुझाव दिया. साथ ही, कोर्ट ने Actor-राजनेता विजय की करूर रैली में पिछले महीने हुई भगदड़ की सीबीआई जांच का आदेश देने से इनकार कर दिया. करूर भगदड़ में 41 लोगों की मौत हो गई थी.
एम धंदापानी और एम जोतिरमन की पीठ ने भाजपा नेता उमा आनंदन की सीबीआई जांच की मांग वाली याचिका पर कार्यवाही करने से इनकार कर दिया, लेकिन याचिकाकर्ता को यह छूट दी कि यदि जांच ठीक से नहीं की जाती है तो वह अदालत का दरवाजा खटखटा सकते हैं.
अदालत ने मामले में याचिकाकर्ता के अधिकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि इस अदालत को Political अखाड़े की तरह न समझें.
कोर्ट ने कहा कि यदि पीड़ित व्यक्ति इस अदालत में आते हैं, तो हम उन्हें बचाएंगे. अदालत ने याचिकाकर्ता से कहा कि पहले वह करूर में 27 सितंबर की घटना की जांच को उसके वर्तमान प्रारंभिक चरण से आगे बढ़ने दें.
भाजपा नेता ने घटना की सीबीआई से जांच कराने के लिए हाई कोर्ट से निर्देश मांगा था और दावा किया था कि ये मौतें कथित Governmentी उदासीनता के कारण हुई हैं.
हाई कोर्ट ने कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया. कुछ याचिकाओं में पीड़ितों के लिए घोषित मुआवजे में वृद्धि की मांग की गई थी.
पीठ ने रैलियों या बैठकों के संबंध में मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार करने और राज्य या राष्ट्रीय राजमार्गों के निकट आयोजनों की अनुमति न देने के तमिलनाडु Government के सुझाव पर गौर किया.
अदालत ने सुझाव दिया कि भविष्य में जब ऐसी Political रैलियां या बैठकें निर्धारित स्थानों पर आयोजित की जाएं तो Government और Political दलों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वहां पेयजल और स्वच्छता की उचित व्यवस्था हो.
पीठ ने यह भी कहा कि भगदड़ की संभावना को कम करने के लिए निकास मार्ग और पार्किंग की सुविधा उपलब्ध कराई जानी चाहिए.
टीवीके पार्टी की रैली में हुई भगदड़ ने राज्य में Political विवाद खड़ा कर दिया है. इस घटना को लेकर Police ने पार्टी के राज्य महासचिव बूसी आनंद पर मामला दर्ज किया है.
विजय ने इस दुखद घटना के पीछे साजिश का आरोप लगाया, जबकि Chief Minister एमके स्टालिन ने विरोधी दलों पर त्रासदियों का फायदा उठाकर चुनावी लाभ लेने का आरोप लगाया.
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पीएसके/एबीएम